Question 1:
अगर कहानी का नाम मक्खी को ध्यान में न रखकर लोमड़ी और शेर को ध्यान में रखकर लिखा जाता तो उसके क्या-क्या नाम हो सकते थे ?
Answer:
- अगर इस कहानी का नाम लोमड़ी को ध्यान में रखकर लिखा जाता तो शीर्षक होता—चालाक लोमड़ी।
- अगर इस कहानी का नाम शेर को ध्यान में रखकर लिखा जाता तो शीर्षक होता—घमंडी शेर।
Question 2:
अब तुम कहानी के लिए एक और नया शीर्षक सोचो। यह शीर्षक कहानी के किसी पात्र पर नहीं होना चाहिए। (कहानी का किसी घटना के बारे में शीर्षक हो सकता है ।)
Answer:
घमंडी का सिर नीचा।
Question 3:
'शेखीबाज़ मक्खी' कहानी का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक जंगल में एक शेर खाना खाकर आराम कर रहा था। एक मक्खी उड़ती हुई तभी वहाँ आई और शेर के कान के पास आकर भिनभिनाने लगी। शेर की नींद टूट गई।
मक्खी उड़ गई लेकिन फिर वह शेर के कान के पास भिनभिनाने लगी। शेर गुस्से में दहाड़ा लेकिन मक्खी पर इसका कुछ असर नहीं हुआ। वह कभी उसके कान के पास भिनभिनाती,
कभी नाक पर, कभी माथे पर और कभी शेर के गाल और गर्दन पर भिनभिनाने लगती। शेर गुस्से में अपना पंजा मारता इससे उसके नाक, कान और गाल ज़ख्मी हो गए। अंत में शेर ने
थक-हार कर मक्खी से कहा, ''मक्खी बहन, अब मुझे छोड़ो। मैं हारा और तुम जीतीं।"
मक्खी घमंड से भर कर आगे बढ़ी। उसे सामने से हाथी आता हुआ दिखाई दिया। उसने हाथी से कहा, ''मुझे प्रणाम करो क्योंकि आज मैंने जंगल के राजा शेर को भी हरा दिया है।
अब जंगल में मेरा राज है।" हाथी ने उसे सूंड उठाकर प्रणाम किया। लोमड़ी को देखकर मक्खी ने उसे भी प्रणाम करने को कहा। लोमड़ी चालाक थी। उसने उसे प्रणाम करते हुए कहा कि तुम
वाकई धन्य हो लेकिन मक्खी रानी, उधर रहने वाली वह मकड़ी तुम्हें गाली दे रही थी। तुम ज़रा उसकी खबर लो न ! गुस्से से भरी मक्खी जैसे ही मकड़ी की तरफ झपटी तो वह उसके जाले में
फँस गई। वह जाल से जितना निकलने की कोशिश करती, उतना अधिक फंसती जाती। अंत में वह थक गई, हार गई और यह देखकर लोमड़ी मुस्काती हुई चली गई।
शिक्षा—कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।
Question 4:
मक्खी मकड़ी के जाल में फँस गई थी। फिर क्या हुआ होगा ? कहानी आगे बढ़ाओ।
Answer:
मक्खी मकड़ी के जाल में फँस गई थी। वह उस जाल से जितनी बाहर निकलने की कोशिश करती, उतनी और भी उलझती जाती थी। बाहर निकलने की सारी कोशिशें असफल रहने पर वह थक-हार कर और पूरी तरह से निराश होकर बैठ गई। अंत में जाल में फँस कर वह मर गयी और उसका सारा घमंड चूर-चूर हो गया।
Question 5:
'चाँद वाली अम्मा' कहानी का सार अपने शब्दों में लिखो।
Answer:
बहुत समय पहले की बात है। एक बूढ़ी अम्मा बिल्कुल अकेली रहती थी। उसे घर के सारे काम स्वयं ही करने पड़ते थे, कुएँ से पानी लाना, खाना बनाना, घर में झाड़ू लगाना आदि।
झाड़ू लगाने के लिए जब वह आँगन में जाती है तो उसे एक परेशानी का सामना करना पड़ता। वह जब झाड़ू लगाने के लिए झुकती तो आसमान उसे तंग करता, वह उसकी कमर से
टकराता और फिर हट जाता इसी प्रकार की हरकत वह हर समय करता।
एक दिन सुबह कुएँ से पानी लाते समय उसका किसी से झगड़ा हो गया। वह गुस्से में थी। ज्यों ही वह घर आकर अपने आँगन में झाड़ू लगाने लगी त्यों ही आसमान ने नीचे झुक कर फिर
वही शरारत दोहराई। गुस्से से भरी अम्मा ने आसमान को झट से झाड़ू दे मारा। आसमान ने उसका झाड़ू पकड़ लिया और ऊपर की ओर खींचने लगा। अम्मा ने नीचे की ओर झाड़ू खींचा।
आसमान ने झाड़ू न छोड़ा और ऊपर को खींचने लगा। झाड़ू के साथ-साथ अम्मा भी ऊपर को उठने लगी। वह चिल्लाई लेकिन आसमान ने एक न मानी वह उसे लेकर ऊपर उड़ने लगा।
अचानक अम्मा को चाँद दिखाई दिया। उसने झट से अपना पैर बढ़ाया और चाँद पर चढ़ गई पर झाड़ू को न छोड़ा। आसमान ने सोचा कि अब यदि चाँद ने उसकी सहायता की तो वह हार जाएगा
इसलिए उसने झट से झाड़ू छोड़ दिया। अब अम्मा झाड़ू सहित चाँद पर रह गई। थकी हुई अम्मा वही चाँद पर बैठ गई और आसमान ऊपर चला गया। तब से वह बूढ़ी अम्मा झाड़ू पकड़े चाँद
पर बैठी है।
Question 6:
क्या शेर फिर कभी बित्तो के खेत की तरफ गया होगा ? हाँ, तो क्यों ? नहीं, तो क्यों ?
Answer:
दो बार बित्तो से मात खाने के बाद शेर फिर कभी भी बित्तो के खेत की तरफ नहीं गया होगा।
Question 7:
'बहादुर बित्तो' पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक किसान था। उसकी पत्नी का नाम था—बित्तो। एक दिन एक किसान खेत में हल चला रहा था तभी एक शेर ने आकर उससे कहा कि तुम मुझे अपना बैल दे दो नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा।
किसान की पत्नी ने उससे पूछा कि तुमने क्या उत्तर दिया तो किसान ने कहा कि मैं उसे अपनी गाय देने का वायदा कर आया हूँ। इतना सुनकर किसान की पत्नी को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा
कि यदि गाय चली गई तो घर में न दूध होगा, न लस्सी। बच्चे रोटी किस चीज़ के साथ खाएँगे ?
बित्तो को एक उपाय सूझा। उसने अपने पति से कहा कि तुम शेर को जाकर कहो कि मेरी पत्नी तुम्हारे खाने के लिए एक घोड़ा लेकर आ रही है। किसान ने ऐसा ही किया।
बित्तों ने सिर पर एक बड़ा-सा पग्गड़ बाँधा और हाथ में दराँती लेकर, घोड़े पर सवार होकर खेतों की ओर चल पड़ी। शेर को देखकर वह किसान को फटकारती हुई बोली कि तुम तो कह रहे थे कि
मैंने चार शेरों को फाँस रखा है। बाकी कहाँ गए। फिर वह घोड़े से उतरकर शेर की तरफ आते हुए कहने लगी—''अच्छा कोई बात नहीं, नाश्ते में एक ही शेर का$फी है।
यह सुनकर शेर डरकर भाग गया। तब बित्तो ने अपने पति को डरपोक कहकर फटकारा और अपनी बहादुरी का परिचय दिया। तभी भागते हुए शेर को एक भेड़िया मिला। उसने शेर से सारी घटना पूछी।
जिसे सुनकर शेर से कहा—महाराज, वह कोई राक्षसी नहीं थी, आप मेरे साथ चलिए अगर बैल न मिले तो मेरा नाम भेड़िया नहीं।
यह सुनकर शेर फिर तैयार हो गया। परंतु इस बार शेर अकेला नहीं था। भेड़िया भी उसके साथ था। दोनों पूँछ बाँधकर खेत में पहुँचे। उन्हें देखकर किसान घबरा गया। लेकिन बित्तो ने हिम्मत से काम लेते
हुए भेड़िए से पूछा—तू तो चार शेर पूँछ में बाँधकर लाने का वादा करके गया था और केवल एक शेर लेकर आया है और वह भी मरियल-सा। यह सुनकर शेर के होश-हवास उड़ गए। उसने समझा कि भेड़िया
उसे धोखा दे रहा है। वह तेज़ी से भागता चला गया और फिर कभी वापिस नहीं लौट कर आया। अब किसान और उसकी पत्नी आराम से रहने लगे।
Question 8:
'टिपटिपवा' पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक बुढ़िया प्रतिदिन सोने से पहले अपने पोते को एक कहानी सुनाया करती थी। उसका पोता भी कहानी सुने बिना नहीं सोता था। एक दिन मूसलाधार वर्षा हो रही थी। सारा गाँव बारिश से परेशान था।
बुढ़िया की झोंपड़ी भी जगह-जगह से टपक रही थी। परंतु उसका पोता इन सब बातों से बेखबर कहानी सुनने की जिद्द कर रहा था। तब बुढ़िया ने गुस्से से कहा—बेटा ! इस टिपटिपवा से जान बचे तो
कहानी सुनाऊँ।
पोता उठकर बैठ गया और उसने अपनी दादी से पूछा कि क्या ये टिपटिपवा शेर-बाघ से भी बड़ा होता है ? यह सुनकर दादी ने कहा कि हाँ बचवा, न शेरवा का डर, न बाघवा का डर। डर तो टिपटिपवा का है।
उसी समय एक बाघ बारिश से बचने के लिए झोंपड़ी के पीछे बैठा था। बुढ़िया की बात सुनकर वह डर गया और वहाँ से भाग गया।
उसी गाँव में एक धोबी रहता था जिसका गधा सुबह से गायब था। तब उसकी पत्नी ने गाँव के पंडित जी से पूछने के लिए कहा। परंतु पंडित जी घर में जमा बारिश का पानी उलीच-उलीचकर फेंक रहे थे। धोबी ने उन्हें
कहा-ज़रा पोथी बाँचकर बताइए कि मेरा गधा कहाँ है ? पंडित जी सुबह से पानी उलीचते-उलीचते थक गए थे। उन्होंने गुस्से में कहा—मेरी पोथी में गधे का पता-ठिकाना नहीं लिखा, जाकर उसे किसी गड्ढे-पोखर में ढूँढ़ो।
यह सुनकर धोबी गधे को ढूँढ़ता हुआ तालाब के पास पहुँचा। वहाँ ऊँची-ऊँची घास थी। धोबी उस घास में अपने गधे को ढूँढ़ने लगा। किस्मत का मारा वह बाघ वही बैठा था। धोबी ने सोचा कि यह उसका गधा है। उसने
बाघ पर अपना मोटा लट्ठ बरसा दिया। अचानक हुए इस हमले से बाघ घबरा गया और उसने सोचा कि यही टिपटिपवा है और उसने मुझे ढूँढ़ लिया है। अब जान बचानी है तो वही करते जाओ, जो यह कहता है।
इस प्रकार बाघ चुपचाप उसके साथ चल पड़ा। धोबी ने घर पहुँचकर बाघ को खूँटे से बाँध दिया और सो गया। सुबह जब गाँव वालों ने धोबी के घर के बाहर खूँटे से एक बाघ को बँधे देखा तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं।
Question 9:
'बंदर-बाँट पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक काली बिल्ली और एक सफेद बिल्ली ने कमरे में प्रवेश किया। दोनों ही भूखी थीं। दोनों रोटी की तलाश में घूम रही थीं। सफेद बिल्ली को रोटी की महक आई। काली बिल्ली को भी ऐसा ही लगा।
तभी उन्हें मेज़ पर रखी रोटी दिखाई दी। काली बिल्ली रोटी उठाकर भागने लगी परंतु सफेद बिल्ली ने उसे रोक दिया। दोनों बिल्लियाँ रोटी पर अपना-अपना हक बताने लगीं और वे आपस में झगड़ने लगी।
तभी एक बंदर वहाँ आ पहुँचा। उसने उनसे लड़ाई का कारण पूछा है और फिर उनसे रोटी छीनकर उनका फैसला करवाने के लिए कचहरी में ले गया।
बंदर एक तराजू लेकर, उसके दोनों पलड़ों में रोटी का एक-एक टुकड़ा रखने लगा। एक पलड़ा ऊपर रहा और दूसरा नीचे। तब बंदर नीचे वाले पलड़े में से एक टुकड़ा तोड़कर खुद खा लिया। फिर दुबारा तराजू उठाया तो
पहला पलड़ा भारी था। अबकी बारी बंदर पहले पलड़े में से रोटी का एक टुकड़ा काट कर खा गया।
बिल्लियाँ बंदर की चालाकी समझ गईं और बंदर से बची-खुची रोटी वापस देने को कहने लगीं। परंतु बंदर ने कहा है कि नहीं, नहीं तुम फिर झगड़ा करोगी। मैं इस झगड़े की जड़ को ही खत्म कर देता हूँ और वह बाकी
बची हुई रोटी को भी खा गया। दोनों बिल्लियाँ पछताती रह गईं।
Question 10:
'कब आऊँ' कहानी का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
अवंती ने गाँव में छोटी-सी रंगाई की दुकान खोली और कपड़े रंगना शुरू कर दिया। गाँव के लोग उसकी रंगाई की खूब प्रशंसा करते। इस प्रकार धीरे-धीरे उसकी दुकान खूब चलने लगी। परंतु एक सेठ को उससे बहुत ईर्ष्या हुई।
एक बार वह सेठ कपड़े का एक टुकड़ा लेकर अवंती की दुकान पर जा पहुँचा और कपड़े को अच्छी तरह रंगने को कहा। अवंती ने सेठ से पूछा—इस कपड़े को आप किस रंग में रंगवाना चाहते हैं ? वास्तव में सेठ अवंती को परेशान
करना चाहता था। उसने कहा—मुझे हरा, पीला, सफेद, लाल, नारंगी, नीला, आसमानी, काला और बैंगनी रंग बिल्कुल पसंद नहीं है। अवंती सेठ का इरादा भांप गया। उसने कहा—ठीक है सेठ जी, मैं आपकी पसंद की रंगाई कर दूँगा।
तब सेठ ने अवंती से पूछा—मैं इसे लेने कब आऊँ। अवंती ने उत्तर दिया—आप इसे सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को छोड़कर किसी भी दिन आ सकते हैं।
अब सेठ समझ गया कि उसकी चाल उल्टी पड़ चुकी है। इसलिए वह धीरे-से खिसक गया और फिर कभी अवंती की दुकान में नहीं आया।
Question 11:
'क्योंजीमल और कैसे-कैसलियाÓ पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
क्योंजीमल और कैसे-कैसलिया दो मित्र हैं। जो बात-बात पर क्यों, क्यों और कैसे-कैसे पूछते रहते हैं। यदि इन दोनों से आप की भेंट हो जाए तो आप क्यों और कैसे में भटकते रह जाएंगे।
एक बार गुरु जी गेहूँ पिसवाने बाज़ार जा रहे थे। उनकी मुलाकात क्योंजीमल और कैसे-कैसलिया जी से हो गई। उन दोनों ने गुरु जी से पूछा कि वे बाज़ार क्यों और कैसे जा रहे हैं? यह सुनकर
गुरुजी ने कहा कि वे साइकिल पर गेहूँ पिसवाने जा रहे हैं। इस पर भी उन दोनों ने पूछा कि क्यों और कैसे? उन्होंने बताया कि वे चक्की से गेहूँ पिसवाएँगे, आटा जो चाहिए। फिर वहीं प्रश्न क्यों और
कैसे ? उत्तर—रोटी बनाने के लिए तथा आटे को छानकर तथा बेलकर। इस प्रकार अंत में गुरु जी ने कहा-कि तुम्हारी क्यों और कैसे में चक्की बंद हो जाएगी। परंतु जब तक वे फिर प्रश्न करते; गुरु जी
जा चुके थे।
Question 12:
'मीरा बहन और बाघ पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
मीरा बहन गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर, इंग्लैंड छोड़कर भारत आ गई। वे गाँधी जी के साथ काम करने लगी।
भारत की आज़ादी के पाँच साल बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश के एक पहाड़ी गाँव, गेंबली में गोपाल आश्रम की स्थापना की और पालतू पशुओं की देखभाल में अपना समय बिताने लगीं। उस गाँव के
आस-पास के जंगलों में बाघ जैसे खतरनाक जानवरों का भय सदा बना रहता था।
एक बार एक बाघ ने गाँव में आकर एक गाय को मार डाला। पूरे गाँव में यह खबर फैल गई। लोगों ने उस बाघ को पकड़ने की योजना बनानी शुरू कर दी ताकि वह बाघ दूसरे पालतू जानवरों या
आदमी को अपना शिकार न बना पाए। योजना के अनुसार एक ऐसा पिंजड़ा बनाया गया और उसमें एक बकरी को बाँधा गया ताकि बाघ बकरी का मिमियाना सुनकर पिंजड़े में आ जाएगा और बाघ के
अंदर पहुँचते ही वह दरवाज़ा झटके से बँद हो जाएगा। उन सब ने मिलकर पिंजड़े को ऐसी जगह रखा, जहाँ प्राय: बाघ आता था।
सुबह होने पर लोगों ने देखा कि पिंजड़े का दरवाज़ा तो बंद है लेकिन बाघ उसमें नहीं है। यह देखकर वे बहुत हैरान हुए और उन्होंने मीरा बहन से इस बारे में पूछा। तब मीरा बहन ने बताया—मुझे नींद
नहीं आ रही थी। मैं यह सोचकर परेशान हो रही थी कि बाघ को धोखा देकर हम क्यों फसाएं। इसलिए मैंने पिंजड़े का दरवाज़ा बंद कर दिया।
Question 13:
'जब मुझको साँप ने काटा पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक दिन लेखक ने अपने आँगन में एक छोटे-से साँप को रेंगते देखा। परंतु वह लेखक को देखकर तेज़ी से भागकर नारियल के एक खोल में छिप गया। तब उसने एक पत्थर से उस नारियल के खोल
का मुँह बंद कर दिया और उसे लेकर अपनी नानी के पास गया। जब उसने नानी को बताया कि उसने साँप पकड़ा है। यह सुनकर नानी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। नानी की चीख-पुकार सुनकर नाना
जी अंदर से आए और उन्होंने खोल मेरे हाथ से छीनकर दूर फेंक दिया। साँप रेंगता हुआ झाड़ी में चला गया। नाना ने मुझे डाँटा कि फिर कभी साँप के पास मत जाना।
उसी शाम मैं (लेखक) बर्र को पकड़ने की कोशिश कर रहा था कि उसने लेखक को काट लिया। तेज़ दर्द के कारण वह कराहने लगा। तब नानी ने सोचा कि उसे साँप ने काट लिया है। तब नानी जी
मुझे (लेखक) को गोद में उठाकर एक झाड़-फूंक वाले के पास ले गए। तब तक उँगली पर नीला निशान पड़ गया था। उस बूढ़े आदमी ने पीतल के बर्तन में पानी डालकर मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया।
लेखक ने उसे बताना चाहा कि उसे साँप ने नहीं, अपितु बर्र ने काटा है। लेकिन उसके नाना डाँटकर उसे चुपचाप बिठा देते।
उस समय तक लेखक की उँगली का दर्द समाप्त हो चुका था। परंतु उसे झाड़-फूँक भी करवानी पड़ी और पानी भी पीना पड़ा। उस बूढ़े आदमी ने नाना से कहा—अच्छा हुआ आप समय रहते इसे मेरे
पास ले आए। बड़े ज़हरीले साँप ने काटा था । इस इलाज के लिए नाना ने अनेक चीज़ें भेंट में उस बूढ़े आदमी को भेजीं।
Question 14:
'सबसे अच्छा पेड़' पाठ का सार अपने शब्दों में लिखें।
Answer:
एक दिन सुबह के समय तीनों भाई नए घर की खोज में निकले। चलते-चलते वे एक आम के पेड़ के नीचे पहुँचे और उसकी ठंडी छाया में आराम करने लगे। तीनों भाई पके आम तोड़-तोड़कर मीठा रस
चूसने लगे। तभी बड़े भाई ने कहा कि उन्हें यह जगह पसंद है, क्योंकि वे कच्चे आम का आचार बनाएंगे और पके आम खाएँगे। यह सोचकर बड़े भाई ने आम के पेड़ के नीचे झोंपड़ी बनाई और वहीं
रहने लगा। दोनों भाई आगे चल दिए।
आगे उन्हें केले का पेड़ मिला। उसी समय बारिश होने लगी। उन दोनों भाईयों ने केले का एक-एक पत्ता काटकर उसके साए में अपने आप को बारिश से बचाया। फिर भूख लगने पर केले के पत्ते पर
ही खाना परोसकर खाया और एक-एक केला भी खाया। दूसरे भाई को यह जगह पसंद आ गई। उसने अपनी झोंपड़ी वहीं बनाई और रहने लगा।
तीसरा भाई आगे चल पड़ा। उसे रास्ते में नारियल का पेड़ मिला। उस समय उसे बहुत प्यास लगी थी। तभी एक नारियल ज़मीन पर आ गिरा। उसने नारियल को छीला और ठंडा-ठंडा पानी पिया। फिर
वह वहीं नारियल के पेड़ की छोटी-सी छाया में बैठ गया और आम, केला, नीम तथा रबड़ के पेड़ों के विषय में सोचने लगा। अंत में उसने नारियल के पेड़ के संबंध में सोचा। नारियल की जटाओं से
जटाओं से चटाइयाँ बनाई जा सकती हैं। नारियल का पानी पी सकते हैं, गिरी खा सकते हैं, नारियल को सुखाकर, उससे तेल तथा साबुन आदि बन सकता है। इस प्रकार नारियल के भी कई लाभ हैं।
यह सोचकर उसने नारियल के पेड़ के नीचे अपनी कुटिया बनाई और आराम से रहने लगा।