Board Paper of Class 12 2022 Hindi-Elective Term 1 Set 4 - Solutions
कोड नं. 029/1/4
सामान्य निर्देश―
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 60 प्रश्न दिए गए हैं जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- सभी प्रश्न समान अंक के हैं।
- प्रश्न-पत्र में तीन खंड हैं— खंड-क, ख और ग।
- खंड-क में 36 प्रश्न पूछे गए हैं । प्रश्न संख्या 1 से 36 में से 18 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
- खंड-ख में 5 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 37 से 41 में 5 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
- खंड-ग में 19 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 42 से 60 में से 17 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
- प्रत्येक खंड में निर्देशानुसार परीक्षार्थियों द्वारा पहले उत्तर किए गए वांछित प्रश्नों का ही मूल्यांकन किया जाएगा।
- प्रत्येक प्रश्न के लिए केवल एक ही सही विकल्प है। एक विकल्प से अधिक उत्तर देने पर अंक नहीं दिए जाएँगे।
- ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।
(अपठित गद्यांश)
I. नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए —
विचार, धर्म, मूल्य सब एक ही सीध के शब्द हैं। इनकी मौलिक रचना में नैतिकता सर्वोपरि है। यह और बात है कि कई बार यह विरोधाभास उभरता है कि विचार और धर्म की मौजूदा समझ और व्यवहार में नैतिकता का पक्ष गौण है। दिलचस्प यह है कि नैतिकता, मनुष्यता से जुड़ा विषय है। इसलिए सभ्यता और संस्कृति के विकास में भी नैतिकता को स्वाभाविक अहमियत मिली है। पर जब से मनुष्य के विकास के समस्त रास्तों और अवधारणाओं के साथ आधुनिकता का आग्रह जुड़ा है, नैतिक व्यवहारों पर बात कम होती है। यह समस्या विचार और बुद्धि के नए मेल से सामने आई है। जबकि विचार का स्वाभाविक उत्स और उसके निर्माण की प्रक्रिया हृदय से जुड़ी है। बुद्धि का हस्तक्षेप साहित्य पर हावी हुआ है। यही कारण है कि वहाँ भी नैतिकता को तिलांजलि देकर कई तरह की बात आज कही और लिखी जा रही है।
नैतिकता की आवश्यकता और मौजूदा जीवन-मूल्य में उसकी कमजोर पड़ती स्थिति चिंताजनक है। आचार्य तुलसी ने इस चिंता की तरफ खासतौर पर ध्यान दिलाया है। वे इस संदर्भ में अपनी बात काफी सरल तरीके से रखते हैं। इस तरह की बात को कहने के लिए तीखे तर्क की शरण में न जाना पड़े, वे इसका पूरा ध्यान रखते हैं। इस चर्चा का आरंभ वे यह कहकर करते हैं कि नैतिकता एक शाश्वत मूल्य है। इसकी अपेक्षा हर युग में रहती है। सतयुग में ऋषि-मुनि होते थे। ये धर्म और नैतिकता की चर्चा किया करते थे। उस समय भी धर्म के उपदेशक थे। जिस युग में धर्म और नीति के पाँव लड़खड़ाने लगे हों, सांप्रदायिकता, धार्मिक असहिष्णुता, जातिवाद, छुआछूत, बेरोज़गारी, कालाबाज़ारी आदि बीमारियाँ सिर उठाए खड़ी हों, उस समय तो नैतिकता की आवाज़ उठाना और इसकी ज़रूरत को रेखांकित करना और अधिक ज़रूरी हो गया है। आज सब कुछ है. ट्रेन है, प्लेन हैं, कारखाने हैं, स्कूल हैं, भोगोपभोग की तमाम सामग्रियाँ हैं। पर अच्छा आदमी नहीं है। इस एक कमी के कारण तमाम उपलब्धियाँ बेकार हो रही हैं। सब कुछ हैं, पर जब तक आदमी सही अर्थ में आदमी नहीं है, तब तक कुछ भी नहीं है। तुलसी की इस बात को अपने एक रेडियो साक्षात्कार में महादेवी वर्मा ने भी सुंदर तरीके से कहा है।
आचार्य तुलसी नैतिकता पर अपनी बात कहते हुए एक कथा-प्रसंग की मदद लेते हैं। एक साधारण व्यक्ति किसी सेठ के पास गया। उसके घर में लड़की की शादी थी। बारात का आतिथ्य करने के लिए उसे किसी चीज़ की जरूरत हुई। सेठ जी का नाम उसने बहुत सुना था। मन में बड़ी आशा सँजोकर वह सेठ जी के घर पहुँचा और बोला, मुझे दो-चार दिन के लिए अमुक चीज़ की ज़रूरत है। आप दे सकें तो बड़ी कृपा होगी। सेठ जी मसनद के सहारे बड़े आराम से बैठे थे। उन्होंने इधर-उधर देखा और कहा, आप कुछ समय बाद आना। कुछ समय बाद आने पर भी उसे वही बात सुनने को मिली। जब वह तीसरी बार आया और सेठ ने फिर टालमटोल किया तो आगंतुक अधीर हो उठा। वह अपनी अधीरता ज़ाहिर करते हुए बोला, भाई साहब ! बात क्या है ? मुझे और भी कई काम करने हैं। आप मेरी दुविधा को समाप्त कीजिए। सेठ जी सुनकर गंभीर हो गए और अपनी कठिनाई बताते हुए बोले, भाई! तुम अन्यथा मत समझो। मैं क्या करूँ? यहाँ कोई आदमी नहीं है। आगंतुक व्यक्ति ने छूटते ही कहा, मैं तो आपको आदमी समझकर ही आया था। सेठ जी के पास सब.कुछ था। एक आदमी नहीं था, इसलिए कुछ भी नहीं था।
सामान्य तौर पर देखें-समझें तो देश आज़ाद हुआ और इसके साथ ही देश में अनेक समस्याओं का जन्म हुआ। इनका समाधान ज़रूरी है। इसके लिए हमें प्रयास करना होगा। कई बार मन में आता है कि कितना प्रयास करें। हम तो कब से कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोग हैं कि समझते ही नहीं। ऐसे में सूर्य को देखो। सूर्य से मत पूछो कि आज तक उसने कितना अंधकार मिटाया, उसका काम अंधकार मिटाने का है। रात को फिर अंधकार घिर आता है। इसकी वह चिंता नहीं करता, अगली सुबह फिर अपना दायित्व निभाने आ जाता है।
Question 1
विचार, धर्म और मूल्य की मौलिक रचना में सबसे ऊपर क्या है?
- विचार
- धर्म
- मूल्य
- नैतिकता
उत्तर— (d)
Question 2
आचार्य तुलसी नैतिकता से संबंधित अपनी बात प्रभावी ढंग से कहने के लिए क्या करते हैं?
- उपदेश देते हैं
- व्याख्यान देते हैं
- कथा सुनाते हैं
- प्रसंगों से जोड़ते हैं
उत्तर— (d)
Question 3
लेखक ने सूर्य का उदाहरण क्यों दिया?
- प्रकाश को समझाने के लिए
- अपना दायित्व निभाने के लिए
- अंधकार मिटाने के लिए
- चिंतामुक्त रहने के लिए
उत्तर— (b)
Question 4
सभ्यता और संस्कृति के विकास में नैतिकता को महत्त्वपूर्ण क्यों माना गया है?
- स्वाभाविक प्रक्रिया होने के कारण
- विचार और धर्म से जुड़े होने के कारण
- मनुष्यता से जुड़े होने के कारण
- जीवन को संयम में रखने के कारण
उत्तर— (b)
Question 5
आधुनिक समय में नैतिकता में आने वाली गिरावट के लिए क्या कारण हो सकता है?
- विचार और बुद्धि के मेल को
- सभ्यता के विकास को
- बदलती संस्कृति को
- मनुष्य की इच्छा को
उत्तर— (a)
Question 6
समाज में नैतिकता की आवश्यकता क्यों बढ़ रही है?
- बढ़ते सामाजिक पतन के कारण
- भौतिकता की ओर रुझान के कारण
- विचार और बुद्धि की प्रधानता के कारण
- धर्म के प्रति दिखावे की प्रवृत्ति के कारण
उत्तर— (d)
Question 7
आज सब.कुछ है, अच्छा आदमी नहीं है। — इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि—
- आज सिद्धांतवादी आदमी नहीं है।
- आज ईमानदार आदमी का अभाव है।
- आज धार्मिक व्यक्ति नहीं है।
- आज नैतिक व्यक्ति नहीं है।
उत्तर— (d)
Question 8
तुलसी की बात को रेडियो साक्षात्कार में महादेवी वर्मा को पुनः कहने की आवश्यकता क्यों पड़ी होगी ?
- सामाजिक गिरावट को देखकर
- तुलसी की बात के महत्व को समझकर
- समाज को संदेश देने के कारण
- उनकी बात से सहमति जताने के लिए
उत्तर— (c)
Question 9
गद्यांश के अनुसार आदमी होने के लक्षण क्या हो सकते हैं ?
- संयमी होना
- ईमानदार होना
- नैतिक होना
- अमीर होना
उत्तर— (c)
Question 10
इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है ?
- दायित्व का निर्वहन
- विचार और धर्म
- नैतिकता का महत्व
- जीवन-मूल्य की अनिवार्यता
उत्तर— (c)
अथवा
इंग्लैंड की मौजूदा महारानी एलिज़ाबेथ की दादी थीं क्वीन मैरी। एलिज़ाबेथ की शादी के मौके पर महात्मा गांधी ने एक तोहफा भेजा। उसे देखकर क्वीन हैरान रह गईं। तोहफे में महात्मा ने भेजा था एक कपड़ा। जिस सूत से वह कपड़ा तैयार किया गया, उसे उन्होंने खुद काता था। उस कपड़े के बीच में लिखा था, ‘जय हिंद’। जय हिंद लिखे होने से क्वीन मैरी को उतना झटका नहीं लगा, जितना उस बात से, जो बात उनके मन में यह कपड़ा देखकर उभरी। उन्हें लगा कि उसका उपयोग लँगोटी के रूप में किया जाता है। ज़ाहिर है कि ऐसा तोहफा उन्हें अच्छा नहीं लगा होगा।
यह घटना बताती है कि गांधी की वेश-भूषा ने अंग्रेजों के मन पर कैसी छाप छोड़ी थी। वह कपड़ा देखते ही क्वीन मैरी ने मान लिया कि यह लँगोट है। और शायद उसके बारे में एक उलझन बनी रही क्योंकि ऐसा लगता है कि अंग्रेज़ कभी नहीं समझ सके कि उसका क्या करना है।
साल 1921 में सितंबर की 22 तारीख को महात्मा गांधी ने तय किया कि वह अब एक ही वस्त्र पहनेंगे। वहीं पर उसी दिन से उन्होंने एक धोती को लँगोटी के रूप में पहनना शुरू किया। जगह थी मदुरै। वहीं पर उसी दिन उन्होंने एक नाई से अपना मुंडन भी कराया। अंतिम संस्कार की हिंदू रीति से मुंडन, कमर से ऊपर कोई वस्त्र नहीं होने और बिना सिले कपड़े को जो प्रतीक है, वह सोच-समझकर अपनाया गया। गांधी ने कहा था, साल खत्म होने वाला है और स्वराज हमें अब भी नहीं मिल सका। इम सब शोक में हैं और यह बात हमें सता रही है।
गांधी के उस फैसले की छाप खादी के बारे में उनके विचारों में दिखती है। और इस बात में भी उन्होंने किस तरह खुद को गरीबों की पंक्ति में खड़ा कर दिया और अपनी पहचान उनके साथ जोड़ ली। गांधी को इस दिक्कत का अहसास भी हुआ कि लोगों को खादी को अपनाना महँगा था। विदेशी मिलों में बने कपड़े खादी से कम दाम पर बेचे जा सकते थे।
यह ऐसी परेशानी है, जिसका सामना हस्तशिल्प वाली हर चीज़ को करना ही पड़ता है, जब उसका मुकाबला मिलों में बनी चीज़ से होने लगता है। गांधी अगर इस समस्या से निजात नहीं दिला सकते थे, तो कम से कम यह तो दिखा ही सकते थे कि ज़रूरत भर का कपड़ा इस्तेमाल कर, खर्च किस तरह कम रखा जा सकता है। यही उन्होंने किया लँगोटी पहनकर। लोगों को उन्होंने याद दिलाया, हमारी जलवायु ऐसी है कि गरमी के महीनों में हमें ज़्यादा कपड़ों की ज़रूरत नहीं होती। कपड़ों के बारे में कोई दिखावा नहीं होना चाहिए। हमारी तहज़ीब में तो वैसे भी इस बात पर कभी जोर नहीं रहा कि पुरुष अपना पूरा शरीर ढकें।
लेकिन इस आखिरी दलील को लेकर गांधी के मन में कुछ हिचक थी क्योंकि खिलाफ़त आंदोलन के ज़रिए वह कोशिश कर रहे थे की हिंदुओं और मुसलमानों में एकता हो जाए l
सुशीला नायर ने अपने भाई प्यारेलाल के साथ मिलकर गांधी की जीवनी लिखी l उसके पाँचवें खंड में उन्होंने लिखा, उन्हें इस बात का डर था की उनके लँगोटी पहनने पर कुछ लोग ऐतराज कर सकते थे l वह तो बी॰ अम्मा ने भरोसा दिलाया, तब जाकर गांधी जी की हिचक खत्म हुई l बी॰ अम्मा का असल नाम आबादी बानो बेगम था l वह खिलाफ़त आंदोलन के नेताओं मौलाना मुहम्मद अली जौहर और मौलाना शौकत अली की माँ थीं l बी॰ अम्मा असहयोग आंदोलन और खिलाफ़त आंदोलन में खुद भी शामिल हुई l
Question 11
महात्मा गांधी ने एलिज़ाबेथ की शादी के मौके पर क्या उपहार भेजा था?
- तोहफा
- कपड़ा
- लँगोटी
- मजाक
उत्तर— (b)
Question 12
गांधी ने एक ही वस्त्र में रहने का निर्णय क्यों लिया था ?
- बिना सिले कपड़े पहनने के कारण
- हिंदू रीति अपनाने के कारण
- भारतीयों के समान दिखने के कारण
- दुखी होने के कारण
उत्तर— (c)
Question 13
गांधी जी की जीवनी किसने लिखी थी?
- प्यारेलाल ने
- महादेव ने
- मुहम्मद अली ने
- सुशीला नायर ने
उत्तर— (d)
Question 14
लँगोट पहनने को लेकर गांधी के मन में हिचक क्यों थीं?
- अपनी दलील के प्रति शंका के कारण
- आधा शरीर नंगा रहने के कारण
- कुछ लोगों के संभावित विरोध के कारण
- उपर्युक्त सभी
उत्तर— (a)
Question 15
गांधी द्वारा भेजे गए तोहफे को देखकर क्वीन के हैरान होने का क्या कारण रहा होगा ?
- गांधी से इस प्रकार मजाक की उम्मीद नहीं थी
- तोहफे में कपड़े को देखकर
- कपड़े पर जय हिंद लिखे होने से
- लँगोट के लिए प्रयोग होने वाले कपड़े को देखकर
उत्तर— (d)
Question 16
कपड़े को देखते ही क्वीन मैरी ने यह क्यों मान लिया कि यह लँगोट है?
- कपड़े का रंग देखकर
- कपड़े का आकार देखकर
- गांधी की वेश-भूषा देखकर
- भारत की गरीबी को महसूस कर
उत्तर— (c)
Question 17
‘साल खत्म होने वाला है और स्वराज हमें अब भी नहीं मिल सका है’— इस कथन से गांधी के किस मनःस्थिति का पता चलता है?
- हताशा
- निराशा
- दुख
- शोक
उत्तर— (d)
Question 18
मिल के कपड़ों से हस्तशिल्प के कपड़े महँगे होने के बाद भी गांधी ने किस आधार पर खादी अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया ?
- ज़रूरत भर कपड़ा इस्तेमाल कर
- गरीबों के साथ हिल-मिल कर
- इस समस्या को समझकर
- लँगोट को तहजीब से जोड़कर
उत्तर— (b)
Question 19
बी. अम्मा के भरोसे पर गांधी जी की हिचक खत्म होने के क्या कारण थे ?
- बी. अम्मा पर गांधी को भरोसा थाl
- बी. अम्मा एक स्वतंत्रता सेनानी थी l
- बी. अम्मा पर लोग भरोसा करते थे l
- वह अली भाइयों की बहन थी l
उत्तर— (b)
Question 20
गद्यांश के आधार पर बताइए कि लोगों के लिए खादी के वस्त्र अपनाना कठिन क्यों था?
- खादी के वस्त्रों में चमक नहीं थी l
- खादी के वस्त्र महँगे थे l
- खादी के वस्त्रों में आकर्षण नहीं था l
उत्तर— (b)
(अपठित पद्यांश)
II. नीचे दो पद्यांश दिए गए हैं। किसी एक पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए—
उसकी सारी शख्सियत
नखों और दाँतों की वसीयत है
दूसरों के लिए
वह एक शानदार छलाँग है
अँधेरी रातों का
जागरण है नींद के खिलाफ
नीली गुर्राहट है
अपनी आसानी के लिए तुम उसे
कुत्ता कह सकते हो
उस लपलपाती हुई जीभ और हिलती हुई
दुम के बीच
भूख का पालतूपन
हरकत कर रहा है
उसे तुम्हारी शराफ़त से कोई वास्ता
नहीं है उसकी नजर
न कल पर भी
न आज पर है
सारी बहसों से अलग
वह हड्डी के एक टुकड़े और
कौर भर
(सीझे हुए) अनाज पर है
साल में सिर्फ़ एक बार
अपने खून से ज़हर मोहरा तलाशती हुई
मादा को बाहर निकालने के लिए
वह तुम्हारी जंज़ीरों से
शिकायत करता है
अन्यथा, पूरा का पूरा वर्ष
उसके लिए घास है
उसकी सही जगह तुम्हारे पैरों के पास है
मगर तुम्हारे जूतों में
उसकी कोई दिलचस्पी नहीं
उसकी नज़र
जूतों की बनावट नहीं देखती
और न उसका दाम देखती है
वहाँ वह सिर्फ़ बित्ता-भर
मरा हुआ चाम देखती है
और तुम्हारे पैरों से बाहर आने तक
उसका इंतज़ार करती है
(पूरी आत्मीयता से)
उसके दाँतों और जीभ के बीच
लालच की तमीज़ जो है तुम्हें
जायकेदार हड्डी के टुकड़े की तरह
प्यार करती है
और वहाँ, हद दर्जे की लचक है
लोच है
नरमी है
मगर मत भूलो कि इन सबसे बड़ी चीज़
वह बेशर्मी है
जो अंत में
तुम्हें भी उसी रास्ते पर लाती है
जहाँ भूख —
उस वहसी को
पालतू बनाती है।
Question 21
किसी वहसी को पालतू कैसे बनाया जा सकता है?
- भूखा रखकर
- प्यार करके
- भूख और लालच शांत कर
- अपना बनाकर
उत्तर— (a)
Question 22
‘उसकी सही जगह तुम्हारे पैरों के पास है’ — में ‘पैरों के पास’ का अर्थ है—
- अधीन रहना
- नीचे पड़ा रहना
- स्वाभिमान नहीं होना
- दूसरे की कृपा पर आश्रित
उत्तर— (a)
Question 23
‘नख’ और ‘दाँत’ यहाँ किसके प्रतीक हैं?
- भयानकता
- कुरूपता
- हिसा
- असभ्यता
उत्तर— (a)
Question 24
वहसी को पालतू बनाने से क्या अभिप्राय है ?
- लालच को दूर करना
- जंगली को शहरी बनाना
- हिंसक को अहिंसक बनाना
- जंगली को पालतू बनाना
उत्तर— (d)
Question 25
आज के मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या क्या है जिसके कारण वह अपने स्वाभिमान से समझौता करने पर विवश रहता है ?
- लपलपाती जीभ
- जागरण
- भोजन की समस्या
- आगे बढ़ने की इच्छा
उत्तर— (d)
Question 26
उसकी दिलचस्पी जूतों में क्यों नहीं है?
- जूता उसके पास है l
- जूता उसके पसंद का नहीं है l
- जूते वाले से स्नेह होने से l
- जूतों से उसकी समस्या का हल नहीं l
उत्तर— (d)
Question 27
कविता में प्रयुक्त ‘जीभ’ से किस प्रकार की ध्वनि आती है ?
- स्वाद
- लालच
- चापलूसी
- जायके की खोज
उत्तर— (d)
Question 28
‘पूरा का पूरा वर्ष उसके लिए घास है’ — पंक्ति का भाव है —
- नुकसान की बात
- मुनाफे की बात
- हरियाली की बात
- मजे की बात
उत्तर— (a)
अथवा
सूरज का कोई भी घोड़ा
लोक के पक्ष में नहीं है
सातवाँ घोड़ा भी नहीं
घोड़साल के घोड़े
जुते हैं रथ में
निकाल दी गई है
जिनकी रीढ़ की हड्डियाँ
भूल चुके हैं—
हिनहिनाना
रथ में जुते घोड़े
अपंग सारथी
हाँक रहे हैं — घोड़ों को
मद में
बिना देखे
कि कौन जा रहें हैं —
कुचले
रथ के पहिए तले
अँगूठे के कद के
सहस्त्रों बौने दरबारी
लगे हैं—
सूरज के यशोगान में
देव संत गंधर्व अप्सरा
यक्ष नाग और राक्षस भी
रत हैं—
चाटुकार्य में
— गंधर्व गा रहे हैं
— अप्सराएँ नृत्य कर रही हैं
— निशाचर बनकर अनुचर
— चलते हैं/रथ के पीछे-पीछे
— नाग सजाते हैं रथ को
— यक्ष करते हैं रक्षा और
— संतों के साथ जुड़े हैं स्तुति में
हिम.ताप.वर्षा
ऋतुओं के कालचक्र पर
नियंत्रण है—
सारथी का
सृष्टि के सारे संसाधनों पर कब्जा है —
सूर्य रथ में लगे लोगों का
वे ही हैं—
वीर-भोग्या वसुंधरा
सप्ताह के सातों दिन
सातों घोड़ों के नाम हैं
जो बनकर इंद्रधनुष
लुभाते हैं—
धरती के लोगों को
स्वर्ग का राजमार्ग है—
यह इंद्रधनुष
लेकिन यह राजपथ
नहीं है सुलभ
जन साधारण के लिए
वंचित जन
सदियों से भोग रहे हैं
रौरव नरक
पर नहीं करते हैं प्रतिरोध
क्योंकि धर्मशास्त्रों में बताया गया है—
‘’ ये सब तुम्हारे पूर्वजन्मों का फल है।¸
Question 29
‘सूरज का कोई भी घोड़ा
लोक के पक्ष में नहीं है’
— पंक्ति में सूरज किसे कहा गया है ?
- सूर्य को
- सत्ता पक्ष को
- गरमी को
- प्रकाश को
उत्तर— (a)
Question 30
‘घोड़साल के घोड़े
जुते हैं रथ में’
— पंक्ति में घोड़साल से आप क्या समझते हैं ?
- देश
- आम आदमी
- घोड़े बाँधने की जगह
- एक जगह का नाम
उत्तर— (c)
Question 31
‘अपंग सारथी
हाँक रहे हैं — घोड़ों को’
—पंक्ति का आशय है—
- रथ चलाने वाला दिव्यांग है।
- घोड़े हाँकने वाला अनाड़ी है।
- अयोग्य के हाथ में बागडोर है।
- देश की जनता नासमझ है।
उत्तर— (c)
Question 32
‘निशाचर बनकर अनुचर’ पंक्ति में अनुचर का क्या अर्थ है ?
- राक्षस जैसा
- पीछे चलने वाला
- आगे चलने वाला
- रात में चलने वाला
उत्तर— (b)
Question 33
संसार के सारे साधनों पर कैसे लोगों का नियंत्रण है ?
- शक्तिशाली लोगों का
- बुद्धिमान लोगों का
- कौशल-संपन्न लोगों का
- सत्ता में साझीदार लोगों का
उत्तर— (d)
Question 34
‘इंद्रधनुष’ से आप क्या समझते हैं ?
- आकर्षण
- सात रंग
- सप्ताह के सात दिन
- वास्तविकता से परे
उत्तर— (c)
Question 35
‘राजपथ’ को आप किस संदर्भ में समझते हैं ?
- राजाओं का रास्ता
- सुंदर रास्ते
- आकर्षक वस्तु
- सहज सरल जीवन
उत्तर— (a)
Question 36
शोषण का प्रतिरोध क्यों नहीं किया जाता?
- शोषण को अपना भाग्य मानने के कारण
- शक्तिहीन होने के कारण
- धर्म में विश्वास होने के कारण
- पूर्व जन्म में विश्वास होने के कारण
उत्तर— (d)
III. निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए—
Question 37
मिशनरियों द्वारा किस उद्देश्य से भारत में पहला छापाखाना खोला गया था?
- धार्मिक पुस्तकें छापने के लिए
- धर्म का प्रचार करने के लिए
- धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए
- मिशनरी का काम करने के लिए
उत्तर— (c)
Question 38
एंकर रिपोर्टर से फोन पर बात करके सूचनाएँ दर्शकों तक पहुँचाता है, उस प्रक्रिया को कहते हैं—
- फोन इन
- लाइव
- वॉयस
- बाइट
उत्तर— (a)
Question 39
हिंदी में नेट पत्रकारिता की शुरुआत मानी जाती है —
- प्रभासाक्षी से
- वेब दुनिया से
- वेब पोर्टल से
- भास्कर से
उत्तर— (b)
Question 40
कविता की दुनिया से जुड़ने के लिए यह आवश्यक है कि हम —
- इंटरनेट से जुड़ें
- पत्रिकाओं से जुड़ें
- शब्दों से जुड़ें
- अपने परिवेश से जुड़ें
उत्तर— (c)
Question 41
बच्चों की रचनात्मकता तब आकार लेती है जब उन्हें—
- कविता लिखवाएँ
- कविता सुनाएँ
- परिवेश से जोड़ें
- तुकबंदी कराएँ
उत्तर— (d)
IV. निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित दिए गए पांच प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए —
तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये पत्थर ये चट्टानें
वे झूठे बंधन टूटे
तो धरती को हम जानें
सुनते हैं मिट्टी में रस है जिसमें उगती दूब है
अपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है
आधे आधे गाने
Question 42
‘सुनते हैं मिट्टी में रस है’ — यहाँ ‘मिट्टी में रस’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
- हृदय में रचनात्मकता
- मिट्टी में नमी
- धरती में उर्वरता
- मनुष्य में भाव
उत्तर— (d)
Question 43
कवि के अनुसार सृजन में सबसे बड़ी बाधा है—
- मन की नीरसता
- मन की बेचैनी
- मन की कठोरता
- मन की घुटन
उत्तर— (a)
Question 44
कवि किसे तोड़ने का आह्वान कर रहा है?
- पत्थर
- चट्टान
- झूठे बंधन
- मन की ऊब
उत्तर— (c)
Question 45
मनुष्य की नीरसता के क्या कारण हो सकते हैं ?
- परंपराओं में बँधे होने के कारण
- कठिनाइयों में घिरे होने के कारण
- झूठे रिश्तों के कारण
- मुक्त होने की शक्ति के अभाव के कारण
उत्तर— (a)
Question 46
आधे-आधे गाने — से आशय हैः
- जीवन में अधूरापन
- रचना नहीं कर पाना
- नीरस जीवन बिताना
- अनुत्साहित मन
उत्तर— (a)
V. निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित दिए गए पाँच प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए —
बड़ी हवेली की बड़ी बहुरिया ने हरगोबिन को पीढ़ी दी और आँख के इशारे से कुछ देर चुपचाप बैठने को कहा। बड़ी हवेली अब नाममात्र की ही बड़ी हवेली है। जहाँ दिन-रात नौकर-नौकरानियों और जन-मजदूरों की भीड़ लगी रहती थी, वहाँ आज हवेली की बड़ी बहुरिया अपने हाथ से सूपा में अनाज लेकर फटक रही है। इन हाथों में सिर्फ़ मेंहदी लगाकर ही गाँव की नाइन परिवार पालती थी। कहाँ गए वे दिन ? हरगोबिन ने लंबी साँस ली।
Question 47
हरगोबिन ने लंबी साँस क्यों ली ?
- अपने को सामान्य करने के लिए
- सोच से बाहर आने के लिए
- अफसोस व्यक्त करने के लिए
- यादों की वेदना से निकलने के लिए
उत्तर— (d)
Question 48
हाथों में मेंहदी लगाकर परिवार पालने से किस प्रकार का अर्थ ध्वनित हो रहा है?
- बड़ी बहुरिया के शौक का
- बड़ी बहुरिया की समृद्धि का
- बड़ी हवेली की समृद्धि का
- बड़ी हवेली की कमजोरी का
उत्तर— (c)
Question 49
बड़ी बहुरिया ने हरगोबिन को बैठने के लिए पीढ़ी क्यों दी होगी?
- अपनी संस्कृति के कारण
- बैठने के लिए
- हरगोबिन से काम होने से
- कुछ देर रोकने के लिए
उत्तर— (d)
Question 50
बड़ी हवेली अब नाममात्र की ही बड़ी हवेली है¸ — का आशय हो सकता है —
- अब नाम ही रह गया है
- अब बड़ी हवेली नहीं रह गई
- अब वह शान नहीं रही
- अब वह संपन्नता नहीं रही
उत्तर— (d)
Question 51
बड़ी बहुरिया ने हरगोबिन को आँख के इशारे से थोड़ी देर चुप बैठने के लिए क्यों कहा होगा?
- महत्त्वपूर्ण बात होने के कारण
- हिम्मत जुटाने के लिए
- संवाद की गंभीरता के कारण
- किसी अन्य के होने के कारण
उत्तर— (b)
VI. निम्नलिखित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्पों का चयन कीजिए—
Question 52
कार्नेलिया का गीत’ कविता में भारत की किस विशेषता का वर्णन किया गया है?
- सिंधु के मनोहर तट का
- भारतीय संगीत का
- भारतीय सांस्कृतिक सौंदर्य का
- भारत के लोगों का
उत्तर— (c)
Question 53
‘सत्य शायद जानना चाहता है कि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैं’ — पंक्ति में ‘सत्य’ से किस विशेष अर्थ का संकेत मिलता है ?
- जीवन का यथार्थ
- जीवन का लक्ष्य
- जीवन की कठिनाई
- जीवन का आनंद
उत्तर— (a)
Question 54
’वसंत आया’ कविता में कवि ने जीवन की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
- प्रकृति से मनुष्य के टूटते रिश्तों की ओर
- मनुष्य की बदलती जीवन शैली की ओर
- प्रकृति और मनुष्य के संबंधों की ओर
- ऋतुओं की परिवर्तनशीलता की ओर
उत्तर— (a)
Question 55
लेखक की मंडली में ‘निस्संदेह’ शब्द का प्रयोग लोगों को अनोखा क्यों लगता था?
- निस्संदेह का अर्थ नहीं समझने के कारण
- हिंदी नहीं जानने के कारण
- बार-बार इस शब्द का प्रयोग करने के कारण
- अधिकतर कचहरी के लोग रहने के कारण
उत्तर— (c)
Question 56
‘यह तो वेदशास्त्रज्ञ धर्माचार्यों का ही काम है’ — पंक्ति में वेदशास्त्रज्ञ का अर्थ होगा—
- शास्त्रों के निर्माता
- वेदों के आचार्य
- वेद-शास्त्रों के ज्ञाता
- वेद-शास्त्रों के रचयिता
उत्तर— (b)
VII. निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्पों का चयन कीजिए—
Question 57
‘सूरदास की झोंपड़ी’ प्रेमचंद के किस पुस्तक का अंश है?
- सेवासदन
- रंगभूमि
- कायाकल्प
- गोदान
उत्तर— (b)
Question 58
‘आरोहण’ कहानी का कथानक आधारित है—
- पहाड़ी जीवन पर
- पहाड़ी मेहनतकश लोगों के जीवन पर
- पहाड़ी लोगों की सरलता तथा कठिनाइयों पर
- पहाड़ी और शहरी जीवन की चुनौतियों पर
उत्तर— (a)
Question 59
‘सूरदास की झोंपड़ी’ पाठ की सबसे बड़ी बात है—
- द्वेष, ईर्ष्या एवं प्रेम का चित्रण
- आपसी सामाजिक संघर्ष
- दलित-शोषित जनों की व्यथा
- आम आदमी की जिजीविषा एवं संघर्ष
उत्तर— (a)
Question 60
‘आरोहण’ पाठ में आई पंक्ति
ऊँचे.नीचे पाँखों मा
हे घसेरी ना जाय तूँ¸
— में किसे संबोधित किया गया है?
- पहाड़ियों को
- घास काटने वाली को
- पहाड़ी लड़की को
- कुहरा को
उत्तर— (b)