संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?
एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पर संवाद पहुँचाने वाले व्यक्ति को संवदिया कहा जाता है। संवदिया की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—
(i) वह वातावरण सूँघकर ही संवाद का अनुमान लगा लेता है।
(ii) वह बहुत भावुक है।
(iii) वह एक संवेदनशील एवं समझदार है।
(iv) वह ईमानदार और दूसरों का मददगार है।
(v) वह चतुर है।
गाँववालों के मन में संवदिया की यह अवधारणा है कि निठल्ला, कामचोर और पेटू आदमी ही संवदिया का कार्य करता है, जिसके आगे-पीछे कोई नहीं होता। बिना मज़दूरी के ही संवाद पहुँचाता है और वह औरतों का गुलाम होता है।बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई ?
बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में यह आशंका हुई कि आज प्रत्येक गाँव में डाकघर खुल गए हैं। घर बैठे ही आदमी लंका तक खबर भेज सकता है तथा वहाँ का कुशल संदेश मँगा सकता है, तो ऐसे युग में संदेशवाहक के माध्यम से संदेश कौन पहुँचाना चाहेगा।
बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी ?
बड़े भैया के मरने के पश्चात बड़ी बहुरिया बिलकुल अकेली पड़ गई। तीनों देवर लड़ाई-झगड़ा करके तथा हवेली का बँटवारा कर शहर में जा बसे। उसके पास एक नौकर था, वह भी भाग गया। उसको अब खाने तक के लाले पड़ गए। उधार तथा कर्ज़ देने वालों ने उधार-कर्ज़ देना बंद कर दिया। अब वह बेचारी केवल बथुए का साग खाकर गुज़ारा कर रही थी। इसीलिए बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश भेजना चाहती थी। ताकि उसके घरवाले आकर उसे ले जाएँ। वह अपने मायके में ही अपना जीवन गुज़ार लेगी।
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है ?
हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की स्मृतियों में खो जाता है जहाँ दिन-रात नौकर-नौकरानियों और जन-मज़दूरों की भीड़ लगी रहती थीं। वहाँ आज हवेली की बड़ी बहुरिया अपने हाथ से सूपा में अनाज लेकर फटक रही है। कभी बड़ी बहू के इन कोमल हाथों में केवल मेंहदी लगाकर ही गाँव की नाइन अपने परिवार का पालन-पोषण करती थी। जहाँ कल कर्ज़ लेने वालों की पंक्ति लगी रहती थी, आज वहाँ कर्ज़ माँगने वाले आते हैं।
संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आईं ?
बड़ी बहुरिया बड़ी हवेली में अब बिलकुल अकेली रह गई थी। वह बथुआ साग खाकर अपना गुज़ारा कर रही थी। मोदिआइन हवेली में प्रतिदिन उधार माँगने के लिए आती थी लेकिन बड़ी बहुरिया के पास देने को कुछ न था। अब वह अपने जीवन से हार चुकी थी। ऐसा लगता था, जैसे विधाता ने सारे दुख उसी पर डाल दिए हों। वह सोच रही थी कि भाई-भाभियों की नौकरी कर वह अपना पेट पाल लेगी तथा बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहेगी। ऐसा सोचकर उसे अपने पुराने दिनों की यादें आ रही थी। इसीलिए संवाद करते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें छलछला आईं।
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था ? उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा ?
अथवा
जलालगढ़ लौटते हुए हरगोबिन को क्या-क्या कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं ?
गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव इसलिए हो रहा था, क्योंकि उसके पास केवल कटिहार तक का टिकट था। कटिहार से जलालगढ़ बीस कोस की दूरी पर था। वह सोच रहा था कि बिना टिकट के यात्रा करेगा तो पकड़ा जाएगा। इससे छुटकारा पाने के लिए हरगोबिन कटिहार से जलालगढ़ के लिए महावीर बजरंगी का नाम लेकर पैदल ही चल पड़ा।
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?
अथवा
हरगोबिन द्वारा बड़ी बहुरिया का संवाद न सुना पाने के पीछे निहित कारणों पर प्रकाश डालिए।
बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन इसलिए नहीं सुना सका क्योंकि वह सोच रहा था कि मेरे संवाद से ये लोग बहुरिया को अपने यहाँ ले आएँगे, तब हमारे गाँव में क्या रह जाएगा। बड़ी बहुरिया हमारे गाँव की लक्ष्मी है और यदि गाँव की लक्ष्मी ही गाँव छोड़कर चली जाएगी तो वहाँ क्या रह जाएगा। यदि वह ऐसा कहेगा कि बड़ी बहुरिया बथुआ-साग खाकर गुज़ारा कर रही है तो सुनने वाले हमारे गाँव का नाम लेकर थूकेंगे। इससे सारे गाँव की बदनामी हो जाएगी।
'संवदिया डटकर खाता है और अफर कर सोता है' से क्या आशय है?
इस पंक्ति का आशय यह है कि संदेशवाहक के बारे में यह धारणा है कि वह कहीं दूर प्रदेश से किसी का संदेश लेकर आता है। सफर में आते-आते कई दिन लग जाते हैं, जिससे वह बहुत थक जाता है। अत: बिंब वह संदेश देने वाले के घर पहुँचता तो वे लोग उसकी अच्छी खातिरदारी करते हैं। वह भूखा-प्यासा होता है इसलिए बहुत सारा भोजन खाता है तथा कई दिनों तक खूब आराम से सोता है।
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प लिया?
जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने यह संकल्प लिया कि अब वह बेकार नहीं बैठेगा। आज से पूरी मेहनत और दिल से बहुरिया का सब काम करेगा। उन्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देगा और एक बेटे के समान उनकी सेवा करेगा।