Question 1:
कोइयाँ किसे कहते हैं? उसकी विशेषताएँ बताइए।
Answer:
उत्तर कोइयाँ जलपुष्प को कहा जाता है। यह अधिकतर वर्षा ऋतु में पाया जाता है। जब वर्षा के जल से पोखर, तालाब और गड्ढे भर जाते हैं तो उनमें कुमुद अपने आप उग आते हैं। कोइयाँ को 'कोका-बेली' भी कहा जाता है। कोइयाँ लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में होती हैं। शरद चाँदनी में सरोवरों में चाँदनी का प्रतिबिंब और कोइयाँ के पत्तों का रंग एक-सा हो जाता है। कोइयाँ में से एक अजीब तरह की गंध आती है।
Question 2:
'बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ़ दूध पीना नहीं है, माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन-चरित होता है'—टिप्पणी कीजिए।
अथवा
लेखक ने माँ और बच्चे के संबंध पर क्या-क्या कहा है?
Answer:
माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। बचपन में वही उसके लिए पौष्टिक भोजन होता है। बच्चा चाहे कुछ भी खा ले, परंतु माँ का दूध उसकी सेहत और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। माँ आँचल में छिपाकर बच्चे को बहुत आत्मीयता के साथ दूध पिलाती है। बच्चे को जब माँ का दूध नहीं मिलता, तो वह रोता है; सुबुकता है; माँ को मारता है। माँ भी कई बार बच्चे को मारती है, फिर भी बच्चा अपनी माँ से चिपटा रहता है। बच्चा माँ का स्पर्श और गंध भोगता है। कई बार छोटे बच्चे माँ का दूध पीते समय ज़ोर से काटते हैं, फिर भी माँ उसे अपने से अलग नहीं करती। माँ का दूध माँ-बच्चे के संबंधों को मज़बूती और आत्मीयता प्रदान करता है। इस प्रकार माँ के दूध का बच्चे के जीवन-निर्माण में असर पड़ता है।
Question 3:
बिसनाथ पर क्या अत्याचार हो गया?
Answer:
बिसनाथ अपनी माँ का बड़ा बेटा था। वह अपनी माँ का दूध पीते समय आनंदित होता था। लेकिन जब उसके छोटे भाई का जन्म हुआ, तो बिसनाथ अपनी माँ का दूध पीने से वंचित हो गया। अब उसका छोटा भाई माँ का दूध पीता था और बिसनाथ को गाय का दूध पीने को मिलता था, जो उसे बेस्वाद लगता था। बिसनाथ को माँ ने अपना दूध पिलाना बंद कर दिया था। माँ के दूध पर छोटे भाई का अधिकार हो गया था। इसलिए बिसनाथ को लगा कि उस पर अत्याचार हो रहा है।
Question 4:
गर्मी और लू से बचने के लिए उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी उन उपायों से परिचित हैं?
अथवा
क्या आप भी उन उपायों का प्रयोग करेंगे?
Answer:
उत्तर-मध्य भारत में ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गर्मी पड़ती है। लगातार गर्मी पड़ने के कारण हवा गर्म हो जाती है। इसी गर्म हवा को 'लू' कहते हैं। ये गर्म हवाएँ अथवा लू खासतौर से बच्चों पर बुरा असर डालती है। गर्मी के दिनों में लू लगने की घटनाएँ अधिक सुनी जाती हैं। बिसनाथ के अनुसार माँ लू से बचने के लिए धोती या कमीज़ से प्याज बाँध देती थी। कच्चे आम का पन्ना भी लू से बचने का एक अच्छा उपाय है। कच्चे आम को भूनकर गुड़ या चीनी के शरबत के साथ खाना, शरीर पर लेप करना और उसके पानी में नहाना लू से बचने का उपाय है। भूने या उबले कच्चे आम को पानी में मिलाकर सिर धोने से भी लू से बचा जा सकता है। हम भी लू से बचने के इन उपायों से परिचित हैं, परंतु आज के युग में ये सब उपाय बहुत कम प्रयोग में लाए जाते हैं।
Question 5:
लेखक बिसनाथ ने किन आधारों पर अपनी माँ की तुलना बतख से की है ?
Answer:
बिसनाथ अपने अतीत को याद करते हुए कहता है कि हिसशान गार्डन के डियर पार्क में तब बतखें होती थीं। जब बतखें अंडे देने वाली होतीं, तो वे पानी छोड़कर ज़मीन पर आ जाती थीं। वे एक सुरक्षित काँटेदार बाड़ा बनाती थीं। अंडों को सेते समय वह अंडों को अपने पंखों से छुपाकर रखती थीं। वह उन्हें गर्मी देने के साथ-साथ दुनिया से भी बचाती थी। कौवा उसके अंडों को खाने की ताक में रहता था। जब अंडे उसके पंखों से छिटक जाते, तो वह बड़ी सतर्कता और कोमलता से उन्हें फिर पंखों के अंदर समेट लेती। कभी-कभी बड़ी सतर्कता से उन्हें उलटती-पलटती भी थी। इसी प्रकार माँ भी अपने बच्चे के जन्म की पीड़ाजन्य स्थिति से गुज़रती है। वह उन्हें स्तनपान करवाती है। जब तक बच्चे बड़े न हो जाएँ, उन्हें अपने से दूर नहीं करती। बिसनाथ की माँ भी उसे बहुत प्यार करती थी। उसे अपनी गोद में भरकर स्तनपान करवाती थी। माँ की ममता प्रकृति-प्रदत्त होती है। इस प्रकार माँ और बतख दोनों अपने बच्चों से प्यार करती हैं; उनका पालन-पोषण करती हैं। इन्हीं आधारों पर लेखक बिसनाथ ने अपनी माँ की तुलना बतख से की है।
Question 6:
बिस्कोहर में हुई बरसात का जो वर्णन बिसनाथ ने किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
बिस्कोहर लेखक विश्वनाथ (बिसनाथ) का पैतृक गाँव है। अपने बचपन के दिनों में लेखक ने वहाँ के प्राकृतिक वातावरण को सभी ऋतुओं में देखा है। वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लेखक कहता है कि बिस्कोहर में वर्षा ऐसे ही सीधे अचानक नहीं आती। पहले बादल घिरते हैं, फिर गड़गड़ाहट शुरू होती है। पूरा आकाश बादलों से इस प्रकार घिर जाता, जैसे दिन में ही रात हो गई हो। वर्षा ऋतु में बादलों की गड़गड़ाहट और वर्षा की रिमझिम स्वर-ध्वनियाँ संपूर्ण वातावरण को संगीतमय बना देती हैं। छत पर चढ़कर जब लेखक आती हुई वर्षा को देखता है, तो उसे लगता है कि जैसे घोड़ों की कतारें दौड़ी चली आ रही हैं। दूर से ही वर्षा की बौछारें अपनी ओर आती प्रतीत होती हैं। आँधी चलने से घरों के छप्पर उड़ जाते हैं। कई दिन लगातार वर्षा होने के कारण घरों की दीवारें गिर जाती हैं। भीषण गर्मी से परेशान जानवर और पक्षी पुलकित हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पहली बरसात में नहाने से दाद, खाज, खुजली, फोड़ा-फुंसी आदि बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। इस मौसम में जोंक, केंचुआ, जुगनू, अगनिहवा, करकच्ची-गोजर, मच्छर, डँस, वोका आदि कीड़े-मकोड़े बहुत अधिक मात्रा में पैदा हो जाते हैं। ये मनुष्य जाति के लिए नुकसानदायक भी साबित होते हैं। वर्षा होने के कारण अनेक वनस्पतियों का पुन: जन्म हो जाता है। चारों तरफ हरियाली फैल जाती है।
Question 7:
फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी करते हैं, कैसे?
Answer:
फूल प्रकृति के उपहार होते हैं। उनमें वातावरण सुगंधित हो जाता है। फूलों की गंध व्यक्ति को आनंद प्रदान करती है, इसलिए व्यक्ति अपने हसीन पलों को किसी बाग-बगीचे में बिताना चाहता है। वस्तुत: सुगंध व्यक्ति को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। परंतु फूल केवल सुगंध ही प्रदान नहीं करते बल्कि दवा भी प्रदान करते हैं। फूलों की गंध का संबंध साँप, महामारी, दैव, चुड़ैल आदि से भी जोड़ा जाता है। गुड़हल का फूल देवी का फूल माना जाता है। नीम के फूल और पत्ते चेचक के रोगी को ठीक कर देते हैं। बेर के फूल में एक अजीब तरह का नशा होता है। इसे सूँघकर बर्रे-ततैया के डंक के ज़हर से बचा जा सकता है। बेर के फूल हाथ में पकड़ने या जेब में भर लेने या कमर में धागे से बाँध लेने से ज़हर झड़ जाता है। इस प्रकार फूल केवल गंध ही प्रदान नहीं करते बल्कि दवा भी करते हैं।
Question 8:
'प्रकृति सजीव नारी बन गई' इस कथन के संदर्भ में लेखक की प्रकृति-नारी और सौंदर्य संबंधी कारण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भ'बिस्कोहर की माटी' की उस 'औरत' को बिसनाथ प्रकृति के किन-किन रूपों में देखता है? उसमें ऐसा क्या है कि उसे लगता है 'बिस्कोहर' से ज़्यादा सुंदर कहीं की औरत नहीं हो सकती है?
Answer:
लेखक जाड़े की धूप और चैत (मार्च) की चाँदनी में ज़्यादा फर्क महसूस नहीं करता। बरसात की भीगी चाँदनी चमकती तो नहीं, परंतु मधुर और शोभा के भार से अधिक दबी होती है। लेखक चाँदनी की इस शोभा में अपने गाँव बिस्कोहर की एक सुंदर औरत को देखता है। उसने उसे पहली बार अपने रिश्तेदार के यहाँ देखा था। प्राकृतिक सौंदर्य में लेखक को यही सुंदर औरत दिखाई देती थी। हैरानी की बात यह है कि वह औरत बिसनाथ से दस साल बड़ी थी। बिसनाथ इस औरत की सुंदरता पर मोहित था। जब लेखक बिस्कोहर में संतोषी भइया के यहाँ गया हुआ था तो उसे बरसात की चाँदनी रात में उसी सुंदर औरत का प्रतिबिंब दिखाई दिया। चारों ओर जूही की गंध बिखरी हुई थी। यही खुशबू जैसे प्राणों में बस गई। फूलों को देखकर ऐसा लगता था मानो चाँदनी रात में फूल भी चाँदनी रंग के हो गए हों। बिसनाथ को चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य प्रतीत होता है—चाँदनी की प्रकृति, फूल की प्रकृति और खुशबू की प्रकृति। बिसनाथ को वह औरत केवल औरत ही नहीं लगी बल्कि औरत के रूप में जूही की लता बनकर फूलों की खुशबू-सी लगी। काफ़ी वर्षों बाद जब लेखक उस सुंदर औरत से मिला तो उसने काफ़ी हिम्मत जुटाकर उससे कहा था—''जो तुम्हें पा जाएगा, वह ज़रूर ही पागल हो जाएगा।'' इस प्रकार प्राकृतिक सौंदर्य में लेखक को नारी सौंदर्य का अनुभव होता है।
Question 9:
ऐसी कौन-सी स्मृति है जिसके साथ लेखक को मृत्यु का बोध अजीब तौर से जुड़ा मिलता है?
Answer:
लेखक दस वर्ष की आयु में एक सुंदर औरत के प्रति आकर्षित हो गया था। वह उसके प्रति पूरी तरह से आसक्त था। बिसनाथ और उस सुंदरी में दस वर्ष का अंतर था, इसलिए बिसनाथ उसके सामने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाया। वह औरत उसकी स्मृतियों में सदैव बसी रही। लेखक उसे चाहकर भी प्राप्त नहीं कर सकता था। उसके पास उसकी यादें हैं। इस प्रकार अजीब-सी व्याकुलता लेखक में उस औरत के संबंध में बनी रहती है। लेखक प्राकृतिक सौंदर्य में भी उस औरत को देखता है। उसे लगता है कि सफ़ेद फूलों की भाँति उस औरत ने भी सफ़ेद रंग की साड़ी पहन रखी है। उसके घने काले केश सँवरे हुए हैं। पता नहीं उसकी आँखों में कैसी आर्द्र पीड़ा है। उस औरत का यही आकर्षक रूप और उसकी स्मृति लेखक को अजीब मृत्यु बोध करवाती है।