Question 1:
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
Answer:
कवि को ऐसा विश्वास इसलिए है क्योंकि अभी-अभी उसके जीवन में कोमल, मधुर, दयामय और सुकुमार वसंत का आगमन हुआ है। उसके जीवन में काफी लंबे समय के बाद सुख एवं खुशियाँ आई हैं। अत: अभी उसकी मृत्यु नहीं होगी और न हो सकती है। कवि लोक कल्याण के लिए कार्य करना चाहता है। इसलिए उसे विश्वास है कि अभी उसका अंत नहीं हो सकता।
Question 2:
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन से प्रयास करता है?
Answer:
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कहता है कि वह फूलों के आलसीपन को समाप्त कर देगा। उन्हें विकसित करने के लिए वह अपने जीवन के खुशी-रूपी अमृत को उनके लिए सींच देगा, जिससे वे अनंत समय तक खिले रहेंगे। खिले हुए फूल सभी के जीवन में खुशी का संचार करेंगे।
Question 3:
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य को दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
Answer:
कवि सोए हुए पुष्पों की तंद्रा एवं आलस्य को दूर हटाने के लिए उन्हें अपने कोमल-कोमल प्यारे सपने अर्पित करना चाहता है। वह उन सोई कलियों को अपने हाथों से सहलाना चाहता है। उन कलियों के लिए सूर्य को प्रकट कर उन्हें जगाना चाहता है। कवि प्रत्येक स्तर पर कलियों की निद्रा को दूर करना एवं भगाना चाहता है।
Question 4:
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
Answer:
भारत अनेक ऋतुओं का देश है। यहाँ गर्मी, सर्दी, बरसात, पतझड़, वसंत आदि छ: ऋतुओं का आगमन होता है। इनमें वसंत सबकी प्रिय और सर्वश्रेष्ठ ऋतु है, जिसके आगमन पर प्रकृति के साथ-साथ सभी प्राणी हर्ष और उल्लास से झूम उठते हैं। इसमें गर्मी, सर्दी, वर्षा आदि किसी की भी अधिकता नहीं होती। इसलिए वसंत को ऋतुराज कहा जाता है।
Question 5:
वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
Answer:
वसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु में वसंत-पंचमी, होली आदि त्योहार आते हैं। बसंत-पंचमी के दिन बच्चे पतंगें उड़ाते हैं। इस दिन पीले वस्त्र पहनने एवं पीला हलवा बनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन सारा आकाश पतंगों से रंग-बिरंगा हो जाता है। होली को रंगों का त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। यह त्योहार आपसी भाईचारे को बढ़ाने का काम करता है। यद्यपि इस ऋतु में अनेक त्योहार आते हैं, पर होली का त्योहार इन सबमें अनूठा है। यह प्रत्येक छोटे-बड़े, अमीर-ग़रीब, नर-नारी और बूढ़े-बच्चे के हृदय में उत्साह भर देता है।
भूमिका—मुसलमानों के लिए ईद का तथा ईसाइयों के लिए क्रिसमस (बड़े दिन) का जो महत्व है, वही महत्व हिंदू त्योहारों में होली का है। यह वसंत का उल्लासमय पर्व है। इसे 'वसंत का यौवन' भी कहा जाता है। प्रकृति सरसों के फूलों की पीली साड़ी पहनकर किसी का इंतजार करती हुई प्रतीत होती है। हमारे पूर्वजों ने होली उत्सव को आपसी प्रेम का प्रतीक माना है। इसमें छोटे-बड़े सभी मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं।
आशा तथा विश्वास का समारोह—होली मनुष्य मात्र के हृदय में आशा और विश्वास को जन्म देती है। नस-नस में नया रक्त प्रवाहित हो उठता है; सबमें नई उमंगें भर जाती हैं; निराशा दूर हो जाती है। धनी-निर्धन सभी एक साथ मिलकर होली खेलते हैं। उनमें किसी तरह का भेदभाव नहीं रहता।
प्रकृति की सहचरी—होली प्रकृति की सहचरी है। वसंत में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है, तो होली का त्योहार उसका शृंगार करने आता है। होली ऋतु-संबंधी त्योहार है। शीतकाल की समाप्ति और ग्रीष्म का आरंभ—इन दो ऋतुओं को मिलाने वाले संधि काल का पर्व ही होली है। शीत की समाप्ति पर किसान आनंद-विभोर हो जाते हैं। उनका कठोर परिश्रम सफल होता है। $फसल पककर तैयार होने लगती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि—कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद भगवान का नाम लेता था, लेकिन उसका पिता हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह प्रह्लाद को ईश्वर का नाम लेने से रोकता था। प्रह्लाद उसकी बात मानने को तैयार न था। फलस्वरूप प्रह्लाद को अनेक दंड दिए गए, परंतु भगवान की कृपा से उसका कुछ नहीं बिगड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन का नाम होलिका था। उसे वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। वह अपने भाई के आदेश पर प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गई। भगवान की महिमा से होलिका उस चिता में जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ। यही कारण है कि आज भी होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है।
गुण-दोष—वास्तव में होली का त्योहार ऊँचा दृष्टिकोण लेकर प्रचलित किया गया था। लेकिन आज कुछ लोगों ने इसका रूप बिगाड़ कर रख दिया है। सुंदर एवं कच्चे रंगों के स्थान पर कुछ लोग काली स्याही, तवे की कालिमा आदि का प्रयोग करते हैं; कुछ व्यक्ति एक-दूसरे पर गंदगी फेंकते हैं। इससे प्रेम और आनंद के त्योहार को घृणा और दुश्मनी का त्योहार बना दिया जाता है। हमें इन बुराइयों को कम करने का भरपूर प्रयास करना चाहिए।
उपसंहार—होली के पवित्र अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर करके समता और भाईचारे का प्रचार करना चाहिए। सभी को एक-दूसरे के गले मिलकर एकता का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। होली का त्योहार तभी सार्थक होगा अन्यथा घृणा, द्वेष और विषमता के रावण को जलाए बिना केवल लकड़ियों की होली जलाना व्यर्थ होगा।
Question 6:
''ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है''—इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
Answer:
'लोगों के जीवन पर ऋतु परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ता है'—कवि का यह कथन एकदम सत्य है। भारत अनेक ऋतुओं का देश है। यहाँ गर्मी, सर्दी, बरसात, पतझड़, वसंत आदि छ: ऋतुओं का आगमन होता है, जो अपने अनुसार मानव पर अपना प्रभाव डालती हैं। विभिन्न प्रकार की ऋतुओं में रहने के कारण लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आना स्वाभाविक है। सर्दियों में हम ठंड से काँपते हैं, तो गर्मियों में पसीने और तेज़ धूप से परेशान हो जाते हैं। इनमें वसंत ऋतु सबसे अच्छी होती है। इस ऋतु में प्रत्येक व्यक्ति बाहर घूमने-फिरने का इच्छुक होता है। यह ऋतु अत्यंत सुहावनी होती है।
Question 7:
कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।
Answer:
प्र्रस्तुत पंक्तियों को पढ़ने से पता चलता है कि इनमें बसंत ऋतु का वर्णन किया गया है, जिसमें फाल्गुन और होली का दृश्य चित्रित किया गया है। यह ऋतु अत्यंत मनोहारी और सुहावनी होती है। इस ऋतु में आम के वृक्षों पर बौर आ जाता है।
Question 8:
स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
Answer:
फूल और पौधे हमारे वातावरण में संतुलन बनाने का काम करते हैं, इसलिए हम इनका रख-रखाव करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति को कम-से-कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। ऐसा करने से प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ प्रकृति और मानव का संबंध भी अटूट बनेगा। हम उनकी देख-रेख करने में अपना योगदान देंगे। उन्हें समय पर सींचेंगे और उनमें खाद डालेंगे।
Question 9:
कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भों से संबंध जुड़ सकता है? जैसे— नन्हें-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो।
Answer:
कवि ने अपनी कविता में मानव-कल्याण की कल्पना की है। कविता में बताए गए तरह-तरह के कार्यों को वह मानव से जोड़ने की कोशिश करता है। वह अलसाई कलियों के माध्यम से निराश एवं हताश लोगों को अपने जीवन का अमृत प्रसन्नता बाँटना चाहता है। इसी प्रकार सोई हुई कलियों के माध्यम से कवि लोगों में जागृति लाना चाहता है। जैसे वह सोई कलियों पर हाथ सहलाकर उन्हें जगाने का प्रयत्न करता है ठीक उसी प्रकार उसने जीवन में निराश और हताश लोगों में जागृति और क्रांति का भाव पैदा करने का प्रयास किया है। यदि नन्हें-मुन्ने बालक को माँ जगाने के लिए उसे सहलाती है। इसी प्रकार माली भी फूलों को अपने हाथ से सहलाता है, उन्हें सींचता और सँवारता है।