Question 1:
''...उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं...'' आपके विचार से लेखक 'जंजीरों' द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?
Answer:
लेखक पी० साईनाथ 'जंजीरों' के माध्यम से निरक्षरता, अंध-विश्वास, पिछड़ेपन आदि समस्याओं व रूढ़िवादिता की ओर संकेत कर रहे हैं। पिछड़ेपन के कारण ही पुरुष प्रधान समाज में नारी को केवल वस्तु समझा जा रहा है। तंग मानसिकता के शिकार लोग उन्हें महत्वहीन समझते हैं। उन्हें नारी और पशु में कोई भेद दिखाई नहीं देता। नारी को पढ़ाने व उसे स्वतंत्रता देने को एक अभिशाप मानते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि एक नारी को साक्षर करने से एक कुल को साक्षर किया जा सकता है।
Question 2:
क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
Answer:
लेखक पी० साईनाथ द्वारा कही उक्त पंक्ति से मैं पूर्णत: सहमत हूँ। कोई भी व्यक्ति अधिक समय तक यातनाएँ सहन नहीं कर सकता। कभी-न-कभी वह उठ खड़ा होता है और फँकार मात्र से पर्वत हिलाने का सामर्थ्य रखता है। अपने अंतर्मन में विश्वास एवं साहस उत्पन्न होने पर व्यक्ति परंपरागत बेड़ियों को तोड़कर एक नवीन मार्ग की खोज कर लेता है। वह नित्य नए प्रयोग कर उन सभी समस्याओं और यातनाओं की काट निकालने का प्रयास करता है, जो उसे दुख एवं पीड़ा के सागर में डुबाए रखती हैं।
Question 3:
'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?
Answer:
'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं के जीवन में अनेक महत्त्वपूर्ण बदलाव आए हैं। अब उन्हें बस की लंबी पंक्तियों में प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। इस आंदोलन ने महिलाओं को आत्मविश्वास प्रदान किया है। अब वे पुरुषों पर निर्भर नहीं हैं। साइकिल के द्वारा अब वे अपने रोज़गार एवं सामान का वितरण सहजतापूर्वक कर लेती हैं। दूसरे स्थानों से सामान ढोने का कार्य भी साइकिल के माध्यम से स्वयं ही करने लगी हैं। साइकिल चलाने से महिलाएँ विशेष प्रकार की स्वतंत्रता महसूस करती हैं। प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने वाली लड़कियाँ एवं महिलाएँ साइकिल का प्रयोग करके अपने जीवन-स्तर को निखारने का प्रयत्न कर रही हैं।
Question 4:
शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर० साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?
Answer:
प्रारंभ में पुरुषों द्वारा महिलाओं के 'साइकिल आंदोलन' का विरोध करना स्वाभाविक था, क्योंकि पुरुष प्रधान समाज महिलाओं का इस तरह स्वतंत्रतापूर्वक विचरण और जीवनयापन करना पसंद नहीं करता। लेकिन इन सब बातों के बाद भी आर० साइकिल्स के मालिक ने इस आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन किया। इस समर्थन का मुख्य कारण साइकिल्स की अत्यधिक बिक्री थी। मात्र आर० साइकिल्स के यहाँ से लेडीज़ साइकिल की बिक्री में चौंकाने वाली वृद्धि हुई। इतनी तीव्र गति से वृद्धि होने के कारण ही आर० साइकिल्स के मालिक ने 'साइकिल आंदोलन' का पूरी तरह से समर्थन किया।
Question 5:
प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?
Answer:
प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में पुडुकोट्टई जि़ले की महिलाओं को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा। शुरू-शुरू में पुरुष साइकिल चलाने वाली स्त्रियों पर फब्तियाँ कसते थे। इस तरह साइकिल चलाने वाली महिलाओं को वे परिवार का कलंक और अपराधी मानते थे। स्त्रियों को पुरुष प्रधान समाज में अपने साइकिल आंदोलन के कारण अनेक मानसिक और शारीरिक कष्ट सहने पड़े। यह कष्ट उनके लिए बाधा बनकर सामने आए।
Question 6:
आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा?
Answer:
लेखक पी० साईनाथ ने पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' बड़ी ही सूझबूझ के साथ रखा है। यहाँ पहिया उन्नति एवं प्रगति का प्रतीक है। पहिया समय के साथ चलने की प्रेरणा देता है। इसी प्रेरणा को ग्रहण कर पुडुकोट्टई की महिलाओं ने अपनी आज़ादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक रूप में साइकिल को चुना। सत्तर हज़ार से भी अधिक महिलाओं ने 'प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता' जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में बड़े गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया और अभी भी उनमें साइकिल चलाने की इच्छा-शक्ति बाकी है। इस पहिए में उनके विचारों और जीवन शैली को पूरी तरह से बदल दिया। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' उपयुक्त एवं सार्थक प्रतीत होता है।
Question 7:
अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।
Answer:
इस पाठ का एक अन्य शीर्षक 'जागृत महिलाएँ' हो सकता है। 'जागृत महिलाएँ' इसलिए, क्योंकि पुरुष प्रधान समाज में अत्याचार को सहती पुडुकोट्टई की महिलाएँ नींद से जाग उठी हैं। अब उन्हें साइकिल नामक अस्त्र मिल गया है। यह अस्त्र उनके सभी दुखों का निवारण करता है। इसमें उन्हें किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ता। वे अपना कार्य स्वयं कर लेती हैं। सामान को लाने और ले जाने का कार्य भी वे ही करती हैं। इसलिए 'जागृत महिलाएँ' इस पाठ का अन्य शीर्षक हो सकता है।
Question 8:
''लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज़ उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।'' साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
Answer:
साइकिल चलाना पुडुकोट्टई की ग्रामीण महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि इसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। अब इन महिलाओं को कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वे साइकिल पर उत्पादों को लाने और बेचने का कार्य स्वयं ही करती हैं। साइकिल मिल जाने के कारण वे अधिक स्थानों पर जाकर अपने उत्पादों को बेच लेती हैं। अब इन महिलाओं को बस की लंबी पंक्तियों में प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। वे बचे हुए समय में घर-परिवार को सँभालने के साथ-साथ अपने कार्य में बढ़ोतरी करती हैं। इसी कारण इन महिलाओं के लिए साइकिल चलाना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
Question 9:
''पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे के बारे में इस तरह सोचा नहीं था।'' साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?
Answer:
साइकिल को विनम्र सवारी इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक सस्ता और टिकाऊ साधन है। इसकी मरम्मत में धन का अधिक व्यय नहीं होता। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसकी गति तीव्र नहीं है। इसे बच्चा, स्त्री, पुरुष—कोई भी व्यक्ति बड़ी सहजता के साथ चला सकता है। सस्ती होने के कारण 'साइकिल' गरीब और अमीर—सभी की पहुँच में है। साइकिल व्यायाम के उद्देश्य को भी पूर्ण करती है। इसे चलाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है। उक्त सभी तथ्यों के कारण ही साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है।
Question 10:
फातिमा ने कहा, ''...मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।'' साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को 'आज़ादी' का अनुभव क्यों होता होगा?
Answer:
साइकिल चलाना पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए विकास, स्वतंत्रता एवं उन्नति का प्रतीक है। यहाँ की महिलाएँ साइकिल चलाकर 'आज़ादी' का अनुभव इसलिए करती हैं, क्योंकि साइकिल के पहिए के समान उनके जीवन का चक्र भी सुगमता से चलने लगा है। अब वे महिलाएँ किसी पर आश्रित न रहकर अपना कार्य स्वयं करती हैं; स्वच्छंदतापूर्वक विचरण करती हैं। अपने उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने का कार्य भी बड़ी सरलता एवं सूझ-बूझ के साथ करती हैं। अब इन्हें किसी पुरुष विशेष के साथ की आवश्यकता नहीं पड़ती। उक्त सभी बातों के कारण पुडुकोट्टई की महिलाएँ आज़ादी का अनुभव करती होंगी।
Question 11:
पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?
Answer:
पुडुकोट्टई में कोई महिला यदि चुनाव लड़ती तो वह अपना पार्टी चिह्न 'साइकिल' ही रखती। 'साइकिल' को चुनने का मुख्य कारण है—'साइकिल का पहिया', यह समय के पहिए के समान हैं, जो विकास के मार्ग पर अग्रसर करता है। पहिया जीवन के प्रगतिशील समय की ओर संकेत करता है। पहिए के आगमन से ही पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में आनंद और खुशी के क्षण आए। इसलिए पुडुकोट्टई की महिलाएँ इसे चुनाव चिह्न बनाकर जनता से विकास के नाम पर मत माँगतीं और अपने क्षेत्र को विकसित करने का आश्वासन देतीं।
Question 12:
अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?
Answer:
यदि दुनिया के सभी पहिए एक साथ मिलकर हड़ताल कर देंगे, तो विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। सभी छोटे-बड़े वाहन और उद्योग-धंधे बंद हो जाएँगे। विकास कार्यों पर एकदम से रोक लग जाएगी। उन्नति एवं प्रगति के सभी रास्ते बंद हो जाएँगे। ज़रूरत कर सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचना असंभव हो जाएगा। लोग एक-दूसरे से कर जाएँगे। चारों ओर कोलाहल की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसलिए दुनिया के सभी पहियों द्वारा एक साथ हड़ताल कर देना विश्व के लिए विनाशकारी साबित होगा।
Question 13:
''1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह जि़ला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।'' इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
Answer:
उक्त कथन के माध्यम से लेखक पी० साईनाथ कहना चाहते हैं कि पुडुकोट्टई जिले की महिलाएँ अब जाग चुकी हैं। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को पा लिया है। अपने साहस और परिश्रम के बल पर उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में अपने लिए सम्मान स्थापित किया है। अब यह जि़ला साइकिल आंदोलन के कारण प्रगति के पथ पर चल पड़ा है। अत: वर्ष 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद से यह पुडुकोट्टई जि़ला कभी भी अपने अतीत के समान निर्बल, कमज़ोर और असहाय नहीं रहा। अब यह उन्नति की राह पर चल पड़ा है।
Question 14:
मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।
Answer:
9 मार्च 1992; तमिलनाडु : कल पुडुकोट्टई जिले में एक अनोखी घटना घटी। यहाँ की नवसाक्षर स्त्रियों ने कल एक सामाजिक आंदोलन आरंभ किया। यह आंदोलन कुछ और नहीं बल्कि 'साइकिल चलाने का आंदोलन' था। यहाँ की स्त्रियों ने अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को समाप्त करने के लिए इस आंदोलन का सहारा लिया। अब तक सत्तर हज़ार से अधिक महिलाएँ इस आंदोलन का हिस्सा बन चुकी हैं। उन्होंने 'प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता' जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर बड़े गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया। वहाँ साइकिल चलाना सिखाने के लिए कई प्रशिक्षण शिविर भी चलाए जा रहे हैं। रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आई युवा मुस्लिम लड़कियाँ सड़कों पर अपनी साइकिल से जाती हुई देखी जा सकती हैं। प्रारंभ में लोग उन पर फब्तियाँ कसते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया। साइकिल चलाने में यहाँ की युवतियाँ एवं महिलाएँ एक विशेष प्रकार का आनंद अनुभव करती हैं। पुडुकोट्टई जि़ले में साइकिल की धूम मची हुई है। इस आंदोलन ने महिलाओं को अत्यधिक आत्मविश्वास प्रदान किया है। साइकिल यहाँ की स्त्रियों के लिए यातायात प्रमुख साधन बन गई है। अब इस पर सामान लाद कर जाती हुई महिलाएँ देखी जा सकती हैं। धीरे-धीरे साइकिल चलाने को यहाँ सामाजिक स्वीकृति भी मिल चुकी है। बड़ी संख्या में साइकिल सीख चुकी महिलाएँ नव-साइकिल चालकों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं। आर० साइकिल्स के मालिक अकेले ऐसे पुरुष हैं। जिन्होंने इस आंदोलन में स्त्रियों को भरपूर सहयोग दिया। उनके यहाँ साइकिल की बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। साइकिल चलाने के बहुत आर्थिक निहितार्थ हैं। इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है। खराब परिवहन व्यवस्था वाले स्थानों पर साइकिल बहुत महत्त्वपूर्ण परिवहन का साधन साबित हो रही है। अब यह समय आ गया है कि वहाँ महिलाएँ पूरी तरह से जागृत हो चुकी हैं; अब कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता। हैंडल पर झंडियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई जि़ले में क्रांतिकारी तूफान ला दिया है।
Question 15:
अगले पृष्ठ पर (पुस्तक में) दी गयी 'पिता के बाद' कविता को पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।
Answer:
फातिमा की बात 'मुक्ता' द्वारा लिखी कविता 'पिता के बाद' से बहुत मेल खाती है। दोनों के विचारों में समानता है। दोनों के द्वारा लड़कियों के स्वच्छंद होने पर बल दिया गया है। फातिमा के अनुसार स्त्रियाँ स्वतंत्रतापूर्वक अपनी सभी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकती हैं, फिर चाहे वह समस्या आर्थिक ही क्यों न हो। मुक्ता भी अपनी कविता में लड़कियों को पिता का एक सहारा बताती हैं। उसे पुरुषों के समान कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हुए दिखाती हैं। अत: दोनों के विचारों में समानता है।