NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 19 - उपसंहार

Question 1:

''आखिर यह भारत है क्या? अतीत में किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा क्या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?''
ये प्रश्न अध्याय दो के शुरुआती हिस्से में से लिए गए हैं। अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।

Answer:

भारत अनेकता में एकता का भाव रखने वाला देश है। इस देश में विभिन्न धर्मों, जातियों, विचारधाराओं के लोग परस्पर मिल-जुलकर रहते हैं। प्राचीनकाल में भारत अपने ज्ञान, सभ्यता और संस्कृति की उच्चता की विशेषताओं के कारण समस्त संसार में जाना जाता था। उसने अपनी प्राचीन शक्ति को पराश्रित होने, सामंती मनोवृत्ति तथा भोग-विलास में लीन रहने के कारण खो दिया था लेकिन भारत ने अपनी परंपरागत सभ्यता एवं संस्कृति का पालन करते हुए अपनी शक्ति को पूरी तरह से नहीं खोया था। आज भी भारत की सांस्कृतिक विरासत और सभ्यता में पूरी तरह से जीवित है तथा इस देश के लोग अपने देश के लिए प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं। इसलिए इस भावना के आधार पर इस देश को हम जानदार कह सकते हैं।

Question 2:

आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?

Answer:

भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में पिछड़ गया था, क्योंकि यूरोप के देशों में विज्ञान के क्षेत्र में तेज़ी से विकास हो रहा था। वहाँ के लोगों में उत्साह और उमंग थी। भारतवासी गुलाम थे। उन्हें पढ़ने-लिखने की सुविधाएँ नहीं थीं, उनमें आत्मविश्वास की कमी भी थी। स्वयं को यूरोपियों की तुलना में हीन समझने के कारण भी वे पिछड़ रहे थे। भारत से कच्चा माल विदेश जाता था तथा वहाँ से बनी हुई वस्तुएँ यहाँ आती थीं। ब्रिटिश सरकार भारत में उद्योग-धंधों को प्रोत्साहन नहीं देती थी, इसलिए यूरोप की तुलना में भारत तकनीकी-विकास की दौड़ में पिछड़ गया था।

Question 3:

नेहरू जी ने कहा कि—''मेरे ख्याल से, हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते।'' अब आप बताइए कि—
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तसवीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तसवीर कैसी है और आपकी और उनकी तसवीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?

Answer:

(क) मेरी मातृभूमि संसार में सबसे श्रेष्ठ हैं यहाँ चारों ओर हरियाली, सुख और समृद्धि का राज्य है। यहाँ जातियों, धर्मों, सीमाओं का भेदभाव नहीं है। यहाँ सब आपस में मिल-जुलकर रहते हैं; अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। स्त्री-पुरुषों के समान अधिकार हैं। भ्रष्टाचार और बेकारी का नामोनिशान नहीं है। सबको रोटी, कपड़ा और मकान उपलब्ध है। सरकार जनता की सेवा में तत्पर रहती है।
(ख) मेरे साथी भी मेरी तरह खुशहाल मातृभूमि की कल्पना करते हैं, जहाँ सभी सुखी व संपन्न हैं और ऊँच-नीच के भेदभाव से रहित होकर समभाव से रहते हैं।

Question 4:

जवाहरलाल नेहरू ने कहा, ''यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-वेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता है।'' उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?

Answer:

श्री जवाहरलाल नेहरू ने सिंधु घाटी सभ्यता का वर्णन करते हुए माना कि भारत इस भोर-वेला में एक नन्हे बच्चे की तरह नहीं है। उसका अतीत बहुत पुराना है। पुरानी सभ्यताओं का पता लगाया जा चुका है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से सिंधु घाटी सभ्यता मिली है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में दूर-दूर तक फैली थी। यह केवल सिंधु घाटी सभ्यता भर नहीं थी बल्कि उससे बहुत अधिक थी। भारत इससे पहले भी सांस्कृतिक युगों का अग्रदूत था। उसके फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं के साथ संबंध थे। वह उनके साथ व्यापार करता था। तब व्यापारी-वर्ग संपन्न था। सड़कों पर दुकानों की कतारें थीं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से इस प्राचीन समय की परंपराओं, रहन-सहन के तरीके, रीति-रिवाज़, दस्तकारियों, पोशाकों के फैशन, सुंदर वस्तुओं का निर्माण, हमामों और नालियों के तंत्र आदि का ज्ञान हुआ है, जिनसे निश्चित होता है कि भारत तब भी अनेक रूपों में विकसित सयाने की तरह था।

Question 5:

सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत हैं। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा, तर्क सहित लिखिए।

Answer:

सिंधु में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में खुदाइयों में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। विश्वास किया जाता है कि यह सभ्यता गंगा की घाटी तक फैली थी। इसके अंत के बारे में विद्वानों में कई मत हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि इसका अंत अचानक किसी दुर्घटना के कारण हुआ या सिंधु की भयंकर बाढ़ों से नष्ट हो गया या मौसम के परिवर्तन से ज़मीन धीरे-धीरे सूखती गई और चारों ओर रेगिस्तान छा गया। मुझे भी ऐसा लगता है कि सिंधु घाटी सभ्यता का अंत मौसम के परिवर्तन के कारण हुआ होगा। मोहनजोदड़ो के खंडहर इस बात के प्रमाण हैं कि वहाँ रेत की तहों पर तहें जमती गईं और ज़मीन की सतह ऊँची उठती गई। खुदाइयों से पता चला है कि लोगों ने पुरानी नींवों पर ऊँचे दो-तीन मंजि़लें मकान बनाए थे। उनकी दीवारें भी ऊँची उठाई गई थीं। पहले यह प्रदेश उपजाऊ था, परंतु बाद में यह रेगिस्तान रह गया था। मौसमी परिवर्तन ने इस क्षेत्र को प्रभावित किया होगा। रेत ने कुछ शहरों को ढक लिया और उन्हें सुरक्षित रखा, जबकि बाकी समय के साथ-साथ नष्ट हो गए।

Question 6:

उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि—''शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।'' आप अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इसे कितना लागू कर पाते हैं? लिखिए।

Answer:

हमारे जीवन में उपनिषदों का कथन 'शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और तन-मन अनुशासन में रहें' पूर्ण रूप से लागू होना चाहिए। हम अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इनकी आवश्यकता को समझते हैं, परंतु मन की चंचलता के कारण इन्हें पूरी तरह निभा नहीं पाते। हम अपनी जिह्वा के चटोरेपन के कारण उल्टा-सीधा खाते हैं। सड़क किनारे की रेहड़ियाँ और स्कूल की कैंटीन हमें अपनी ओर खींचती है, जिस कारण हम कभी-कभी बीमार हो जाते हैं। हमारे सोने-उठने का समय भी निश्चित नहीं है। हमें अपनी दैनिक क्रियाओं में इनकी ओर ध्यान देना चाहिए। इसी से हमारा जीवन सुखमय हो सकता है।

Question 7:

नेहरू जी ने कहा कि—''इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।'' आपके अनुसार इतिहास लेखन में क्या-क्या शामिल किया जाना चाहिए? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए।

Answer:

इतिहास हमें सदा भविष्य के प्रति सचेत रहने की चेतावनी देता है; इससे बुरा न करने की शिक्षा मिलती है; लड़ाइयों से बचने का ज्ञान मिलता है; लालच से बचने का उपदेश मिलता है; समता और भाईचारे का ज्ञान प्राप्त होता है। परंतु हम इन तथ्यों की ओर ध्यान नहीं देते, इसलिए सभी देश और उनके वासी तरह-तरह के कष्टों में उलझे रहते हैं। इस संघर्ष में नेहरू जी ने ठीक ही कहा है कि इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।
इतिहास-लेखन में मानव-सभ्यता के अतीत और उसके विकास से संबंधित सभी विषय ग्रहण किए जाने चाहिए। हमारा वर्तमान भूतकाल की सीढ़ियों पर चढ़कर ही भविष्य की ओर कदम बढ़ाता है। यदि हमें अपने इतिहास का पूर्ण ज्ञान होगा, तो हम उससे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को अच्छी दिशा दे सकेंगे।

Question 8:

''हमें आरंभ में ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है, जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है।''
आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन-कौन सी बातें/चीज़ें हैं जो हज़ारों साल पहले से चली आ रही हैं? आपस में चर्चा करके पता लगाइए।

Answer:

हम भारतवासियों को आरंभ से ही ऐसी सभ्यता और संस्कृति प्राप्त हुई है, जिसने हमें विशेष जीवन मूल्य प्रदान किए हैं। विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करना और कठिनाइयों से बच निकलना हमें आता है। बड़े-बुज़ुर्गों की सेवा, शिष्टाचार, सच बोलना, मृदु व्यवहार, माता-पिता का सम्मान, आस्तिकता का भाव, कर्तव्य-पालन, अहिंसा आदि उच्च भाव हमें भारतीय संस्कृति से प्राप्त हुए हैं। हमारे देश में सभ्यता का विकास अति प्राचीनकाल में हुआ था। पूर्वजों के द्वारा अर्जित वे गुण हमारे पास अभी भी हैं, जो हमें वंशानुंगत रूप से प्राप्त हुए हैं।

Question 9:

आपने पिछले साल (सातवीं कक्षा में) बाल महाभारत कथा पढ़ी। भारत की खोज में भी महाभारत के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है—''दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो।''
आप अपने साथियों से कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यवहार करते हैं? चर्चा कीजिए।

Answer:

''दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो''—महाभारत में दिया गया यह सूत्र अपने भीतर जीवन की सच्चाई छिपाए हुए है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि दूसरे उसका सम्मान करें, उसकी सहायता करें, उससे मीठा बोलें, उसे धोखा न दें और उसे सब प्रकार से सुख दें, परंतु जब हमारी बारी औरों के प्रति ऐसा करने की आती है, तो हमारे स्वार्थ, हमारा अभिमान और हमारा बदले का भाव सामने आ जाता है। हम दूसरों के लिए किए जाने वाले कार्य में भी अपना लाभ ढूँढ़ने का प्रयत्न करते हैं। यह पूरी तरह से अनुचित है। हमें अपने साथियों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा हम अपने लिए चाहते हैं। जीवन में संबंधों का ताना-बाना व्यवहार पर निर्भर करता है। जिसके साथ हम जैसा व्यवहार करते हैं, हमें भी अपने प्रति वैसा ही व्यवहार मिलता है। दूसरों के साथ अनुचित व्यवहार करने वाला भला दूसरों से अपने शुभ की कल्पना कैसे कर सकता है। हमारा जीवन 'जैसे को तैसा' नियम पर निर्भर करता है, इसलिए हमें दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम उनसे अपने प्रति चाहते हैं।

Question 10:

प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा ज़मीन और उत्पादन पर 'कर' (tax) लगाया जाता रहा है। आजकल हम किन-किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं, सूची बनाओ।

Answer:

जनता से प्राप्त कर द्वारा ही सरकार देश के लिए सामाजिक व आर्थिक कार्य करती है। समय-समय पर कर प्रणालियाँ और इसकी दरें बदलती रही हैं। आजकल हमें जीवन के लिए आवश्यक लगभग सभी वस्तुओं पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर देने पड़ते हैं। इनमें प्रमुख कर हैं—आयकर, सर्विस कर, गृह कर, क्रय-विक्रय कर, शिक्षा कर, संपत्ति कर, परिवहन कर, मनोरंजन कर, परिपथ कर आदि।

Question 11:

(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन से प्रभाव देखे जा सकते हैं? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची बनाइए।
(संकेत : खान-पान, पहनावा, फिल्में, हिंदी, कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि)

Answer:

(क) (i) सिंधु-घाटी सभ्यता के समय फ़ारस, मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी सभ्यताओं ने हमारे साथ व्यापारिक संबंधों को भारतीय संस्कृति के गुणों के आधार पर स्थापित किया था।
(ii) सम्राट अशोक के द्वारा फैलाए जाने वाले बौद्ध धर्म को दूर-दूर के देशों ने ग्रहण कर भारतीय संस्कृति के प्रभाव को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था।
(ख) वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति ने विदेशी जीवन को प्रभावित किया है, जिसे विश्व-पटल पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इन प्रभावों में प्रमुख हैं—
(i) संगीत व सिनेमा (vi) मसालों का प्रयोग
(ii) फैशन/पहनावा (vii) शाकाहार खान-पान
(iii) योग (viii) नृत्य
(iv) हिंदी भाषा (ix) चित्रकला/कलाएँ
(v) कंप्यूटर क्षेत्र (x) धर्म

Question 12:

कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक विषयों की चर्चा है, जैसे ''व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग-धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाई खाने, पासपोर्ट और जेल—सब शामिल हैं। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।'' वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।

Answer:

वर्तमान में इन सभी विषयों के बारे में भरपूर जन-जागृति है। व्यापार और वाणिज्य का स्वरूप व दिशा पहले की अपेक्षा तेज़ी से बदली है। नगरों में ही नहीं गाँवों में भी सभी प्रकार की वस्तुएँ क्रय-विक्रय के लिए उपलब्ध हैं। अब घर बैठे-बैठे इंटरनेट के प्रयोग से टेलीमार्केटिंग की जा सकती है। किसी भी वस्तु की अनेक रूप-रंग-आकार में प्राप्ति की जा सकती है। बैंकों की व्यवस्था से व्यापार और वाणिज्य सरल हो गया है। तीव्रगामी वाहन और जहाज़ इस कार्य को सरलता से संपन्न करवाने में सहायक हैं। विवाह और तलाक के प्रति मान्यताएँ बदल गई हैं। पहले की तरह समाज अब रूढ़ियों-परंपराओं में बँधा हुआ नहीं है। कहीं-कहीं कुछ बंधन अभी भी हैं, पर उनमें भी समय के साथ परिवर्तन आ रहे हैं। शिक्षा के प्रसार ने मनुष्य की सोच बदल दी है। विधवा विवाह पर कोई रोक-टोक नहीं है। जन्म-मरण पर किसी का वश नहीं है। यदि पुरुष अपनी पत्नी के देहांत के बाद पुन: विवाह कर सकता है, तो स्त्री भी अपने पति के न रहने या उससे तलाक हो जाने पर पुनर्विवाह के लिए पुरुष के समान ही स्वतंत्र है। इसके विषय में सरकारी कानून बनाए गए हैं और सामाजिक मान्यताएँ भी दी जा चुकी हैं।

Question 13:

आज़ादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थीं—''गरीबी, कज़र्, निहित स्वार्थ, ज़मींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार...'' आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?

Answer:

समय के साथ समाज में परिवर्तन आते हैं, पर उनमें समय लगता है। आज़ादी से पहले किसानों की जो समस्याएँ थीं, उनमें किसानों की गरीबी, कज़र्, निहित स्वार्थ, महाजन, पुलिस के अत्याचार आदि अभी भी बहुत कम नहीं हुए हैं। छोटे किसानों की स्थिति तो पहले से भी बदतर है। बैंकों और बिजली की सुविधा से किसान का जीवन कुछ सुधरा तो अवश्य है, परंतु न तो वह अति संपन्न हुआ है और न ही उसके क्लेश कम हुए हैं। अब किसान को बैंकों से ऋण की सुविधा मिलती है, परंतु ऊँची ब्याज दर उसे कहीं का नहीं रहने देती। बिजली का लाभ भी उन किसानों को है, जो ट्यूबवेल लगवाने में सक्षम हैं। पहले ज़मींदारी प्रथा थी, पर अभी भी बड़े किसानों की दृष्टि सदा अपने साथ लगने वालों खेतों की ओर लगी रहती है। पिछले कुछ वर्षों में किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या की दर में बढ़ोतरी भी स्पष्ट रूप से सिद्ध करती है कि आज़ादी के बाद भी किसानों की अधिकांश समस्याएँ ज्यों-की-त्यों बनी हुई हैं। सिंचाई की सुविधा, बिजली, उन्नत बीज, खाद/उर्वरक, ऋण आदि सुविधाओं के बाद भी किसानों के सामने भिन्न प्रकार की समस्याएँ मुँह खोले खड़ी हैं।

Question 14:

''सार्वजनिक काम राजा की मज़ीर् के मोहताज नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।'' ऐसे कौन-कौन से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?

Answer:

सार्वजनिक कार्य सरकार/राजा के द्वारा बनाए नियमों के आधार पर पूरे नहीं होते। वे कार्य उनकी इच्छा के मोहताज नहीं होते। इन्हें पूरा करने के लिए हमें खुद तैयार रहना चाहिए। अनेक गाँवों में अभी भी शौच के लिए खुली जगह पर जाने का प्रचलन है, जो हानिकारक है। इसी तरह पॉलिथीन का निरंतर बढ़ता प्रयोग पर्यावरण के लिए अति हानिकारक है। सरकार द्वारा इसका निर्माण और प्रयोग अनेक कारणों से नहीं रोका जा सकता, पर इसके इस्तेमाल और प्रयोग हो चुके पॉलिथीन को ठिकाने लगाना तो सार्वजनिक कार्य हैं। इधर-उधर गंदगी फैलाना हमें कष्टदायक नहीं लगता, परंतु वह अन्य लोगों के लिए कष्टकारी होता है। इनके निपटाने का कार्य सार्वजनिक जिम्मेदारी है और इसके लिए हमें स्वयं तैयार रहना चाहिए।
कक्षा से फटे-पुराने कागज़/पॉलीथीन आदि इकट्ठे करने, केले के छिलकों को उठाकर डस्टबीन में फेंकने, नल बंद करके व्यर्थ बहते जल को रोकने, सड़क पर पड़ी ईंटें/पत्थर उठाकर एक तरफ रखने आदि सार्वजनिक कार्य करने के लिए मैं बिना किसी हिचकिचाहट के तैयार हो जाता हूँ।

Question 15:

महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए 'हर स्थान पर और हर समय' हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।

Answer:

सम्राट अशोक प्रजा के कार्य और हित के लिए हर स्थान पर और हर समय उपलब्ध रहते थे, लेकिन हमारे समय के शासक या अधिकांश लोक-सेवक इस कसौटी पर बिलकुल खरे नहीं उतरते। वे ऐसा कोई काम नहीं करते, जिससे उन्हें कोई लाभ न होता हो या वे प्रशंसा बटोरने के लाभ से वंचित रहते हों। वे दिखावे और लाभ-प्राप्ति के लिए सदा चिंतित रहते हैं। यदि वे किसी सामाजिक/धार्मिक सेवा में सम्मिलित भी होते हैं, तो केवल सम्मान और प्रशंसा बटोरने के लिए। उनमें लोकसेवा/समाज सेवा का कोई भाव नहीं है। स्वार्थ केंद्रित भावों पर टिकने वाले हमारे समय के शासक/लोक—सेवक सम्राट अशोक जैसे नहीं हो सकते।

Question 16:

'औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।' कैसे?

Answer:

औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में अनेक रुकावटें एवं समस्याएँ आईं, जो निम्नलिखित हैं—
(1) परदे में रहने के कारण अब स्त्री शिक्षा पर कोई ज़ोर नहीं दिया जाता था, जिससे समाज में अनपढ़ता बढ़ी।
(2) घर की चारदीवारी में बँधे रहने के कारण बाहरी दुनिया से उनका संपर्क टूट गया था।
(3) परदा-प्रथा प्रचलित होने से बाल-विवाह प्रारंभ हुए, जिससे समाज उच्चता के स्थान पर निम्नता की ओर अग्रसर हुआ।
(4) किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए स्त्रियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन परदे में छिपे रहने के कारण वे समाज में अपना कोई योगदान न दे सकीं और विकास प्रक्रिया गतिहीन हो गई।

Question 17:

मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए—
(क) अमीर खुसरो (ख) कबीर (ग) गुरु नानक (घ) रहीम

Answer:

कवि रचना
(क) अमीर खुसरो — आईने-ए-सिकंदरी
(ख) कबीर — बीजक
(ग) गुरु नानक —आसा दी वार
(घ) रहीम — रहीम दोहावली

Question 18:

बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे—
(1) अभिधा (2) लक्षणा (3) व्यंजना
बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?
''यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता .... बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।''

Answer:

जैसा कि हम जानते हैं कि किसी बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके हैं—अभिधा, लक्षणा और व्यंजना।
1. अभिधा—भाषा की जिस शक्ति से सामान्य, प्रचलित या मुख्य अर्थ प्रकट होता है, उसे अभिधा शब्द-शक्ति कहते हैं।
2. लक्षणा—मुख्य अर्थ की बाधा होने पर प्रयोजन के कारण जब मुख्य अर्थ के साथ कोई अन्य अर्थ भी प्रकट हो, तो उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं।
3. व्यंजना—अभिधा और लक्षणा की सीमा से बाहर पड़ने वाले अर्थ को व्यंजना शब्द-शक्ति कहते हैं। व्यंजना पूरे प्रकरण या प्रसंग में होती है।
नेहरू जी ने अंग्रेज़ों के कथन में व्यंजना शब्द-शक्ति का प्रयोग किया है। उन्होंने इस बात के लिए अंग्रेज़ों पर व्यंग्य किया है कि उन्होंने भारत पर राज्य कर और हमें अपना गुलाम बनाकर हम भारतीयों पर कोई बड़ा अहसान किया है। यदि वे हमें गुलाम न बनाते, हमारा बोझा न ढोते तो भारतवासियों को राज्य करने का गुण प्राप्त ही नहीं होता; जैसे हम भारतीय तो अनाड़ी थे और हमने उन अंग्रेज़ों से देश चलाने और तरक्की करने की कला सीखी हो।

Question 19:

''नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गईं। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुद्धिजीवियों के सामने आया...''
आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस 'नयी ताकत' की ओर इशारा कर रही हैं? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?

Answer:

आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गईं ये बातें बुद्धिजीवी वर्ग की ओर संकेत करती हैं। इनमें महात्मा गांधी सबसे प्रमुख थे। उन्होंने कांग्रेस के संगठन में प्रवेश करते ही परिवर्तित संविधान के अनुसार कांग्रेस को लोकतांत्रिक और लोक संगठन बनाकर किसानों को संगठित किया। उनमें आज़ादी की लड़ाई शांतिपूर्ण और शिष्ट ढंग से लड़ने की ताकत थी। इस प्रकार गांधीजी ने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया था।

Question 20:

'भारतमाता की जय'—आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Answer:

'भारतमाता की जय' नारे में समस्त भारतवर्ष, उसकी नदियों, पहाड़ों, जंगलों, खेतों-खलिहानों, मिट्टी, इस देश में रहने वाले सभी लोगों, पशु-पक्षियों आदि की जय बोली गई है, क्योंकि इन सबसे ही भारत का निर्माण होता है। यहाँ की जनता की जय इसलिए है, क्योंकि यह जनता ही भारतमाता का स्वरूप सँवारती है।

Question 21:

(क) भारत पर प्राचीन काल ही से अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।
(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?

Answer:

(क) ई० पू० 326 में भारत पर सिकंदर का आक्रमण, सन् 711 ई० में मुहम्मद बिन कासिम का आक्रमण, सन् 1026 ई० में महमूद गज़नवी का आक्रमण, सन् 1192 ई० में मुहम्मद गौरी का पृथ्वीराज चौहान को हराना, सन् 1206 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक का दिल्ली पर शासन, सन् 1221 ई० में चंगेज़ खाँ का आक्रमण, सन् 1290 ई० में जलालुद्दीन फिरोज़ खिलज़ी का दिल्ली पर शासन, सन् 1320 ई० में गयासुद्दीन तुगलक का दिल्ली पर शासन, सन् 1398 ई० में तैमूर का भारत पर आक्रमण, सन् 1510 ई० में पुर्तगालियों का गोवा पर कब्ज़ा, सन् 1526 ई० में पानीपत का पहला युद्ध जिसमें बाबर ने लोधियों को हराया, सन् 1600 ई० में ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आना, सन् 1739 ई० में नादिरशाह का दिल्ली पर कब्ज़ा, सन् 1858 ई० में ब्रिटिश सरकार ने भारत में अंग्रेज़ी राज्य स्थापित किया।
(ख) अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में व्यापार करने से ही हो गई थी। इसके बाद अंग्रेज़ों ने सन् 1748, 1757, 1764, 1766, 1769, 1782, 1799, 1819, 1849 ई० में क्रमश: पांडिचेरी (पुडुचेरी), प्लासी, बक्सर, कर्नाटक, मैसूर आदि राज्यों को जीता और 1858 में संपूर्ण भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना कर दी। लेकिन अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना अन्य आक्रमणों से अलग थी, क्योंकि वे पहले व्यापार करने आए थे और बाद में व्यापार के बहाने धीरे-धीरे सभी राज्यों पर अधिकार करते हुए पूरे भारत को गुलाम बना लिया। ये भारत के बाहर रहकर ही यहाँ की शासन व्यवस्था को संचालित करते थे। इन्होंने भारत को केवल एक गुलाम देश की तरह ही समझा।

Question 22:

(क) अंग्रेज़ी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी। क्यों?
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा। क्यों?

Answer:

(क) अंग्रेज़ी सरकार भारत में शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी, क्योंकि उसे डर था कि कहीं भारतवासी पढ़-लिखकर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न हो जाएँ और उनके शासन के लिए चुनौती न खड़ी कर दें।
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को भारतीयों को शिक्षित करने के लिए थोड़ा-बहुत काम करना पड़ा था, क्योंकि उसे अपने प्रतिदिन के सरकारी व गैर सरकारी कार्यों के लिए शिक्षित लोगों की आवश्यकता थी।

Question 23:

ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि—''नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था।'' क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?

Answer:

हमें लगता है कि आज भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे हमारे देश भारत की आर्थिक स्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रुपए की कीमत कम होने से देश में महँगाई बढ़ी है, आर्थिक प्रगति की गति मंद हो गई है। इसका प्रभाव अमीर व गरीब—दोनों पर देखने को मिल रहा है। अमीर अधिक अमीर हो रहा है तथा मध्य वर्ग व निम्नवर्ग की दशा बिगड़ती जा रही है।

Question 24:

गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए—
(क) कांग्रेस संगठन में।
(ख) लोगों में—विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में।
(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में।
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।

Answer:

(क) कांग्रेस संगठन में प्रवेश करते ही गांधीजी ने उसके संविधान में पूरी तरह से परिवर्तन करते हुए उसे लोकतांत्रिक और लोक संगठन बना दिया। उसमें किसानों को भी प्रवेश दिया गया।
(ख) किसान-मज़दूरों के साथ ही विद्यार्थियों, स्त्रियों, बुद्धिजीवियों आदि ने भी गांधीजी के अहिंसात्मक आंदोलनों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। उद्योगपतियों ने अपना रहन-सहन सादा कर लिया।
(ग) गांधीजी के आने से आज़ादी की लड़ाई सत्य व अहिंसा पर आधारित होकर शिष्ट ढंग से होने लगी।
(घ) भारत के प्राचीन गौरवमय साहित्य एवं मिली-जुली संस्कृति का प्रचलन हुआ तथा अखबारों में भी अहिंसात्मक आंदोलन के समर्थन में लेख लिखे जाने लगे। वे भी गांधीजी के प्रशंसक थे।

Question 25:

''अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है।'' आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं?
कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए। (संकेत : अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्न-सुविधा विहीन आदि)

Answer:

भारत में अनेक प्रकार के अंतर्विरोध हैं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश में कहीं पहाड़, कहीं मैदान और कहीं रेगिस्तान हैं। यहाँ कहीं बहुत सर्दी, कहीं बहुत गर्मी और कहीं बहुत वर्षा होती है। यहाँ के लोगों का रहन-सहन, खान-पान आदि अलग-अलग है। कहीं मांसाहारी तो कहीं शाकाहारी भोजन किया जाता है। यहाँ अनेक जातियाँ, धर्म, संप्रदाय और वर्ग हैं। अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का भेदभाव है। कहीं बहुत आधुनिकतावादी तो कहीं परंपरागत रूढ़िवादी लोग रहते हैं। कुछ लोग सब प्रकार की सुविधाओं से संपन्न हैं, तो कुछ को रोटी, कपड़ा और मकान भी नहीं मिलता।

Question 26:

पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि—''हम भविष्य की उस 'एक दुनिया' की तरफ बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।'' आपके अनुसार उस 'एक दुनिया' में क्या-क्या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?

Answer:

उस 'एक दुनिया' में सब मिलकर रहेंगे; 'विश्व-बंधुत्व' की भावना का प्रसार होगा; सब सुखी होंगे। एक-दूसरे की सहायता करते हुए वे प्रगति के पथ पर बढ़ेंगे। आपस में समझदारी बढ़ेगी। ज्ञान का आदान-प्रदान होने से सभी शिक्षित होंगे।
इस 'एक दुनिया' में सबसे बड़ा खतरा यह होगा कि सभी संस्कृतियों के एक अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति में घुल-मिल जाने से राष्ट्र विशेष की संस्कृति नष्ट हो जाएगी। इससे अपना अस्तित्व विलीन हो जाएगा और हम एक समूह बनकर रह जाएँगे।