NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 6 - मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

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Written by Mahadevi Verma, “Madhur Madhur Mere Deepak Jal” is a poem wherein the poetess refers to her heart as “Deepak” and God as her “beloved”. From this poem, the students will discover how the poetess has pure and gentle feelings. She has used words such as Deepak and Beloved to proclaim her love for her almighty.

Question 1:

प्रस्तुत कविता में 'दीपक' और 'प्रियतम' किसके प्रतीक हैं?

Answer:

प्रस्तुत कविता में 'दीपक' कवयित्री की कोमल भावनाओं से परिपूर्ण हृदय का प्रतीक है। कवयित्री ने 'प्रियतम' का प्रयोग अपने प्रिय ईश्वर के लिए किया है।

Question 2:

दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

अथवा

कवयित्री ने दीपक को किस प्रकार जलने के लिए कह रही है और क्यों? कवयित्री ने दीपक से जलने की प्रार्थना क्यों की है?

Answer:

दीपक से निरंतर जलते रहने का आग्रह किया जा रहा है। दीपक स्वयं जलता है, किंतु दूसरों के मार्ग को आलोकित कर देता है। वह त्याग और परोपकार का संदेश देता है। कवयित्री दीपक से जलने का आग्रह करते हुए कहती है कि जलने में पीड़ा नहीं है। जलने में तो आनंद की अनुभूति होती है। संसार की समस्त वस्तुएँ अपने भीतर अग्नि समेटे हुए हैं। यदि जलने में आनंद न होता, तो ऐसा कभी न होता। अत: उसे निरंतर जलते रहना चाहिए।

Question 3:

'विश्व-शलभ' दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

Answer:

'विश्व-शलभ' अपनी परोपकारी वृत्ति के कारण दीपक के साथ जल जाना चाहता है। उसकी इच्छा है कि जिस प्रकार दीपक के जलने से सबको प्रकाश प्राप्त होता है, उसी प्रकार उसके जलने से भी सभी प्रकाश प्राप्त करें। वह भी किसी की भलाई का कारण बने।

Question 4:

आपकी दृष्टि में 'मधुर मधुर मेरे दीपक जल' कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है—

(क) शब्दों की आवृत्ति पर
(ख) सफल बिंब अंकन पर

Answer:

सफल बिंब अंकन पर

Question 5:

कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

Answer:

कवयित्री अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाह रही है। उसकी इच्छा है कि वह स्वयं दीपक के समान जलकर प्रकाश फैला दे और अपने प्रियतम के मार्ग के अंधकार को दूर कर दे। वह अपने प्रियतम के मार्ग को प्रकाशित कर देना चाहती है, ताकि वह उसके पास सरलता से पहुंच सके।

Question 6:

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

Answer:

स्नेनहीन शब्द से तात्पर्य प्रेम-रहित, नीरस और तेल से रहित है। आकाश के तारे मध्यम रोशनी में टिमटिमा रहे हैं। उनकी रोशनी अत्यधिक कम है। वे कभी जलते और कभी बुझते से प्रतीत होते हैं। कवयित्री कहती है कि ऐसा लगता है, मानो इन दीपकों का तेल समाप्त हो रहा है और ये तेल-रहित होने के कारण टिमटिमा रहे हैं। इसी कारण उसे आकाश के तारे स्नेहहीन से प्रतीत होते हैं।

Question 7:

पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

Answer:

पतंगा स्वयं को दीपक के समान जला देना चाहता है। उसकी इच्छा है कि वह भी किसी के कुछ काम आ सके। जिस प्रकार दीपक स्वयं जलकर दूसरों को रोशनी प्रदान करता है, उसी प्रकार वह भी दूसरों के मार्ग को प्रकाशित करना चाहता है। इस बात का उसके मन में बहुत क्षोभ है। वह कहता है कि काश! वह भी दीपक की लौ में जलकर किसी के मार्ग को प्रकाशित करने का कारण बन पाता। ऐसा न कर पाने का उसे बहुत पछतावा है।

Question 8:

कवयित्री ने दीपक को हर अलग-अलग तरह से 'मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस', जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

कवयित्री ने इन शब्दों से अलग-अलग बिंब योजनाएँ की हैं। जलते हुए दीपक की क्षण-क्षण हिलती और जगमगाती लौ की उज्ज्वलता और सुंदरता को प्रकट करने के लिए उसने दीपक को हर तरह से जलने के लिए कहा है।

Question 9:

नीचे दी गई काव्य-पंक्ति को पढ़िए और प्रश्न के उत्तर दीजिए—

जलते नभ में देख अल्पसंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है?

Answer:

'स्नेहहीन दीपक' से तात्पर्य आकाश के असंख्य तारों से है। आकाश के तारे इस प्रकार टिमटिमाते हैं, मानो उनमें तेल समाप्त हो गया हो।

Question 10:

नीचे दी गई काव्य-पंक्ति को पढ़िए और प्रश्न के उत्तर दीजिए—

जलते नभ में देख अल्पसंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
सागर को 'जलमय' कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

Answer:

सागर में सर्वत्र जल-ही-जल दिखाई देता है। लेकिन कवयित्री का मानना है कि यद्यपि जल और अग्नि एक साथ नहीं रह सकते, फिर भी सागर में अग्नि का निवास होता है। सागर की इस अग्नि को बड़वाग्नि कहते हैं। इसी अग्नि से सागर का हृदय जलता हुआ प्रतीत होता है।

Question 11:

नीचे दी गई काव्य-पंक्ति को पढ़िए और प्रश्न के उत्तर दीजिए—

जलते नभ में देख अल्पसंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

Answer:

बादलों की विशेषता उसमें छिपी बिजली को बताया गया है। बादल पानी से लबालब भरा होता है, वह बहुत जल बरसाता है, किंतु उसके भीतर भी बिजली के रूप में अग्नि का निवास होता है। बादल से जब भी घनघोर वर्षा होती है, तो बिजली अवश्य कौंधती है।

Question 12:

नीचे दी गई काव्य-पंक्ति को पढ़िए और प्रश्न के उत्तर दीजिए—

जलते नभ में देख अल्पसंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
कवयित्री दीपक को 'विहँस विहँस' जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

Answer:

विहँस का अर्थ है—'हँसकर'। कवयित्री दीपक से कहती है कि उसे निरंतर जलने में पीड़ा का अनुभव नहीं होना चाहिए। संसार की सभी वस्तुएँ जल रही हैं। सभी में अग्नि विद्यमान है। आकाश के तारे, समुद्र, बादल सभी किसी-न-किसी अग्नि में जल रहे हैं। अत: कवयित्री ने दीपक को जलने में पीड़ा का अनुभव न करके हँसने के लिए कहा है।

Question 13:

क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा 'महादेवी वर्मा' इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं उनमें आपको कुछ समानता या अंतर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।

Answer:

मीराबाई और महादेवी वर्मा ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए अलग-अलग युक्तियाँ अपनाई थीं। मीराबाई ने स्पष्ट रूप से श्रीकृष्ण को अपना प्रियतम माना था और उन्हें रिझाने के लिए हर संभव कार्य किया था। वे उनके लिए नाचती थीं; गाती थीं; ज़हर का प्याला तक उन्होंने पी लिया था। महादेवी के प्रियतम रहस्यवाद से घिरे हैं। वे उन्हें अनुभूति से पाना चाहती थीं। वे उन्हें प्रकृति के कण-कण से ढूँढ़ना चाहती थीं। वे उन्हें साकार रूप में न पाकर मानसिक रूप से प्राप्त करना चाहती थीं।

Question 14:

निम्न का भाव स्पष्ट कीजिए—

दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने लोकमंगल की भावना को अत्यंत सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है। कवयित्री कहती है कि जैसे दीपक स्वयं को मिटाकर संसार को प्रकाश प्रदान करता है, वैसे ही मनुष्य को आत्म-बलिदान द्वारा संसार का कल्याण करना चाहिए। कवयित्री की भाषा तत्सम प्रधान है। प्रवाहमयता, चित्रात्मकता तथा लयात्मकता द्रष्टव्य है। मानवीकरण एवं पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का सुंदर प्रयोग है। भाषा सरल, सरस और प्रभावशाली है। बिंबात्मकता का सुंदर प्रयोग है।

Question 15:

निम्न का भाव स्पष्ट कीजिए—

युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

Answer:

यहाँ कवयित्री ने सूफी कवियों के समान प्रेम की पीड़ा को सुंदर ढंग से व्यक्त किया है। वह कहती हैं कि जिस प्रकार दीपक निरंतर जल-जलकर संसार में आलोक बिखेरता है, वैसे ही मनुष्य को भी स्वयं को मिटाकर संसार का कल्याण करना चाहिए। प्रतीकात्मकता का सुंदर प्रयोग है। प्रसादात्मकता और लयात्मकता ने काव्य-सौष्ठव में अभिवृद्धि की है। भाषा में तत्सम शब्दावली का प्रयोग है। भाषा की सरसता, भावानुकूलता तथा प्रवाहमयता द्रष्टव्य है। पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार के प्रयोग से काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है।

Question 16:

निम्न का भाव स्पष्ट कीजिए—

मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का कथन है कि जैसे दीपक धीरे-धीरे मोम की तरह गलकर प्रकाश फैलाता है, वैसे ही मनुष्य को भी स्वयं का बलिदान कर संसार का कल्याण करना चाहिए। कोमलकांत शब्दावली का प्रयोग किया है। भाषा में तत्सम शब्दावली की प्रधानता है। सरसता एवं लयात्मकता द्रष्टव्य है। अनुप्रास एवं उपमा अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

Question 17:

कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिह्न द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे—पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।

Answer:

इसी प्रकार के अन्य शब्द हैं—

  1. मधुर-मधुर
  2. युग-युग
  3. गल-गल
  4. सिहर-सिहर
  5. सिहर-सिहर